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    Supreme Court के चार न्यायमूर्ति प्रयागराज में सम्मानित, Allahabad University के पुरा छात्र हैं विशिष्टजन

    Updated: Sun, 27 Jul 2025 04:45 PM (IST)

    इलाहाबाद विश्वविद्यालय में विशिष्ट पुरा छात्र सम्मान समारोह में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया न्यायमूर्ति पंकज मित्थल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्र को सम्मानित किया गया। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने शिक्षक की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया और छात्रों को मेहनत करने की सलाह दी। न्यायमूर्ति पंकज मित्थल ने विश्वविद्यालय के दिनों को याद किया।

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    इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आयोजित सम्मान समारोह में मंच पर उपस्थित अतिथिगण। सौ. पीआरओ

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शनिवार को विशिष्ट पुराछात्र सम्मान समारोह का आयोजन हुआ। इसमें पूर्व छात्र एवं वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया, न्यायमूर्ति पंकज मित्थल एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्र को इलाहाबाद विश्वविद्यालय एल्युमिनाई एसोसिएशन की ओर से सम्मानित किया गया।

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    ईश्वर टोपा भवन सभागार में हुए आयोजन में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने कहा, विद्यार्थी की सफलता में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। विश्वविद्यालय में शिक्षकों और छात्रों के मध्य जो संबंध बनते हैं, वे ही विद्यार्थियों की सफलता की नींव बनते हैं। वर्तमान में शिक्षक और छात्र के बीच संवाद और संबंधों को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। विद्यार्थी भी शिक्षकों की डांट से न डरें।

    उन्होंने विद्यार्थियों को सलाह दी कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती है। जितनी मेहनत करेंगे, उतना आगे जाएंगे। सच्चे मन और दिल से पढ़िए, सफलता जरूर मिलेगी। माता-पिता के साथ शिक्षकों की भी मेंटरशिप का सम्मान करें।

    विधि के विद्यार्थियों को सलाह दी कि कानून केवल किताबों में नहीं बल्कि आपके जीवन में है। समाज को समझकर ही कानून को सही तरीके से समझा जा सकता है। प्रतिदिन समाचार पढ़ें और कोर्ट रूम में होने वाली चर्चाओं का हिस्सा बनें, इससे सीखने को मिलेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने कहा, इलाहाबाद विश्वविद्यालय 139 वर्षों की समृद्ध शैक्षणिक विरासत को संजोए हुए है। विश्वविद्यालय में 532 शिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें से 350 की नियुक्ति पिछले चार वर्षों में की गई, जिससे शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार हुआ। विश्वविद्यालय सतत प्रयास कर रहा है कि विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो। कार्यक्रम में प्रो. हेराम्ब चतुर्वेदी, डा. शैफाली नंदन, डा. सर्वश्रेष्ठ धम्मी, डा. ऋतंभरा मालवीय, प्रो. जया कपूर, रजिस्ट्रार प्रो. आशीष खरे समेत अन्य मौजूद रहे।

    न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने कहा, भारत की विविधता में एकता को बनाए रखने के लिए हमें दूसरों को समझने की आवश्यकता है। त्वरित निर्णय लेने के स्थान पर सहनशीलता और विनम्रता अपनानी चाहिए। यही सहिष्णुता भारत की नींव है। विश्वविद्यालय में पठन पाठन जीवन का अभिन्न अंग है। यहीं से भविष्य की दिशा तय होती है। विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए कहा, कक्षा के साथ परिसर में वार्तालाप से भी बहुत कुछ सीखा जाता है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मुझे प्रगतिशीलता और विचारों को समझने का मौका मिला।

    इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पुराछात्र व न्यायमूर्ति पंकज मित्थल ने बीते दिनों को याद किया। कहा, कक्षा में ज्ञानवर्धन के साथ स्वयं के अनुभव विद्यार्थियों को बहुत कुछ सिखाते हैं। हम अपने अनुभवों से आगे बढ़ते हैं। परिसर का माहौल और यहां होने वाली चर्चाओं से मेरा जुड़ाव कला और साहित्य से हुआ। छात्रावासों में कविताओं को लिखने और समझने का मौका मिला। उन्होंने शिक्षक डा. बीबी सक्सेना के साथ बिताएं क्षण याद किए।

    विशिष्ट पुराछात्र सम्मान समारोह में न्यायमूर्ति मनोज मिश्र ने कहा, कंप्यूटर, एआइ और तकनीक पढने से विद्यार्थियों में मानवता नहीं आ सकती। हमें बेहतरीन इंसान बनाने के लिए कला, सामाजिक विज्ञान और साहित्य के शिक्षण पर जोर देना होगा। बताया कि राजनीतिक आडियोलाजी कोर्स के दौरान उन्हें भारत और पश्चिम के विचारों को समझने का मौका मिला। विश्वविद्यालय में पढ़ने के दौरान जो सीख मिली, वह पूरे जीवन काम आई है।