महाकुंभ मेले को देख आश्चर्य में पूरी दुनिया, अब रिसर्च करेंगे हार्वर्ड-स्टैनफोर्ड, IIM व एम्स जैसे संस्थान
Maha Kumbh 2025 देश और दुनिया के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय और संस्थान महाकुंभ के विभिन्न पहलुओं पर शोध करेंगे। शोध के परिणाम न केवल महाकुंभ के आयोजन को और बेहतर बनाएंगे बल्कि इसके दूरगामी सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को भी समझने में मदद करेंगे। बता दें कि महाकुंभ मेले को 2017 में यूनेस्को द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिया गया है।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज । Maha Kumbh 2025: दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन महाकुंभ अब न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि वैश्विक शोध का भी विषय बन चुका है। देश और दुनिया के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय और संस्थान महाकुंभ के विभिन्न पहलुओं पर शोध करेंगे।
इनमें हार्वर्ड विश्वविद्यालय, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालस, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, एम्स, आइआइएम अहमदाबाद, इंदौर, बंगलुरू, अहमदाबाद, आइआइटी कानपुर और अहमदाबाद, जेएनयू, डीयू तथा लखनऊ विश्वविद्यालय जैसे संस्थान शामिल हैं। यह आयोजन के प्रबंधन, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, पर्यावरणीय चुनौतियों, पर्यटन, स्वास्थ्य प्रबंधन और डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग जैसे विषयों पर गहन अध्ययन करेंगे।
शोध के परिणाम न केवल महाकुंभ के आयोजन को और बेहतर बनाएंगे, बल्कि इसके दूरगामी सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को भी समझने में मदद करेंगे।
"अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर"
महाकुंभ मेले को 2017 में यूनेस्को द्वारा "अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर" का दर्जा दिया गया। यह मानवता का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण संगम है। यह आयोजन खगोलशास्त्र, ज्योतिष, आध्यात्मिकता, और सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराओं का भी संगम है, जो इसे ज्ञान का एक समृद्ध स्रोत बनाता है।महाकुंभ के लिए प्रयागराज में एक अस्थायी नगरी का निर्माण किया जा रहा है और यह नगरी आधुनिक शहरी नियोजन, बुनियादी ढांचे और प्रबंधन का उत्कृष्ट उदाहरण है।
महाकुंभ पर शोध के लिए प्रदेश सरकार ने शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों से शोध प्रस्ताव मांगे थे। साथ ही शोध के लिए दो मुख्य श्रेणियाें का निर्धारण किया था। इसमें महाकुंभ की योजना और क्रियान्वयन तथा आयोजन का आर्थिक प्रभाव और परिणाम शामिल थे।
इनमें भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा रणनीतियां, सांस्कृतिक राष्ट्रीयता का प्रभाव, पर्यटन प्रोत्साहन, डिजिटल तकनीक का उपयोग, जैसे कि बायोमेट्रिक, एआइ और साइबर सुरक्षा, स्वास्थ्य प्रबंधन और आपदा प्रबंधन, पर्यावरणीय अध्ययन और शहरी ढांचे का विकास पर शोध होगा।साथ ही यह संस्थान आर्थिक अध्ययन के तहत सरकारी खर्च, क्षेत्रीय रोजगार के अवसर, और पर्यटकों द्वारा किए गए खर्च का विश्लेषण करेंगे।
भोजन और पेयजल पर शोध करेगा हार्वर्ड
मानवशास्त्रीय अध्ययन और खाद्य वितरण श्रेणी में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी प्रतिभागियों के लिए भोजन और पेयजल तथा शहरी अवसंरचना प्रबंधन पर, अहमदाबाद विश्वविद्यालय महाकुंभ का मानवशास्त्रीय अध्ययन और लखनऊ विश्वविद्यालय तीर्थ और पवित्र भूगोल पर अध्ययन करेगा।
आइआइएम इंदौर पर्यटन, मीडिया की भूमिका और सोशल मीडिया प्रबंधन के सर्वोत्तम तरीकों पर, जेएनयू महाकुंभ के सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव और आर्थिक परिणामों पर और दिल्ली विश्वविद्यालय महाकुंभ के दार्शनिक और राष्ट्रीय एकता के पहलुओं पर शोध करेगा।
प्रबंधन और योजना पर आइआइएम, स्वास्थ्य पर एम्स
आइआइएम बैंगलोर और अहमदाबाद कुशल रणनीतिक प्रबंधन और योजना और शहरी अवसंरचना प्रबंधन पर तथा लखनऊ विश्वविद्यालय कार्यबल की रणनीतिक योजना और संचालन का विश्लेषण करेगा। स्वास्थ्य और आपदा प्रबंधन में एम्स आपातकालीन चिकित्सा प्रतिक्रिया के लिए स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारी पर और सक्षम-निक्षय अभियान टीबी उन्मूलन अभियान के अवसरों और चुनौतियों का मूल्यांकन करेगा। आइआइटी कानपुर डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग के तहत सोशल मीडिया की भूमिका पर शोध करेगा।
पर्यावरण और शहरी अवसंरचना और परिवहन भी मुख्य हिस्सा
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन महाकुंभ के पर्यावरणीय दस्तावेज़ीकरण पर अध्ययन करेगा। आइआइटी मद्रास जल और अपशिष्ट प्रबंधन का आकलन करेगा तथा संस्कृति फाउंडेशन हैदराबाद पर्यावरण संरक्षण के प्रति तीर्थयात्रियों की संवेदनशीलता पर अध्ययन करेगा।
आइआइटी मद्रास, बीएचयू और एमएनएनआइटी परिवहन और यातायात प्रबंधन की चुनौतियों का विश्लेषण करेंगे।वहीं स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय (बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ) महाकुंभ के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव का अध्ययन करेगा। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ अर्बन अफेयर्स महाकुंभ 2025 के आर्थिक प्रभाव का आकलन करेगा।
महाकुंभ मेला पर शोध के लिए चयन प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।संबंधित संस्थानों को उनकी विशेज्ञता और मांग के अनुसार प्रोजेक्ट दे दिए हैं।आइआइटी मद्रास की टीम प्रयागराज पहुंच चुकी है और यातायात प्रबंधन और जल तथा अपशिष्ट प्रबंधन पर अध्ययन प्रारंभ कर दिया है। - अमित सिंह, विशेष सचिव नगर विकास व नोडल अधिकारी मेला स्टडीज
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