महाकुंभ में 45 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु करेंगे संगम स्नान, आखिर किस तकनीक से हो रही गिनती? यहां जानें...
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की गणना में भी एआइ आधारित तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इस प्रकार की भीड़ की गणना ड्रोन कैमरे या एआइ युक्त कैमरे से उपलब्ध डाटा के वर्गीकरण से होती है। गणित और सांख्यिकी के एल्गोरिद्म का उपयोग इस गणना में सहायक होता है। आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों की टीम भी इसमें मदद कर रही है।

बसंत कुमार, महाकुंभ नगर। अब की बार महाकुंभ में डिजिटल की घनी छाया है। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की गणना में भी एआइ आधारित तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। यह कौतूहल हो सकता है कि आखिर स्नान करने वालों की गणना कैसे होती है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि इस प्रकार की भीड़ की गणना ड्रोन कैमरे या एआइ युक्त कैमरे से उपलब्ध डाटा के वर्गीकरण से होती है। गणित और सांख्यिकी के एल्गोरिद्म का उपयोग इस गणना में सहायक होता है। एल्गोरिद्म का आशय उन निर्देशों या नियमों से है जो किसी गणितीय समस्या को हल करने में इस्तेमाल किए जाते हैं।
इन तकनीकों से होती है गिनती
इन निर्देशों की मदद से मशीन/उपकरण आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए निष्कर्ष पर पहुंचते हैं। कैमरा, गणित और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की त्रिवेणी करोड़ों लोगों को गिन लेती है। एल्गोरिद्म का उपयोग कमांड देकर संख्याओं के सेट को छांटने या उसके प्रभाव के अध्ययन के लिए किया जाता है।
विशिष्ट गणना का हाेता है वर्णन
कैमरा या ड्रोन कैमरे में जहां लोगों की सघन उपस्थिति होती है, वहां इसी एल्गोरिद्म आधारित गणना से अलर्ट रेखांकित होने लगता है। यह आमतौर पर प्रारंभिक इनपुट और निर्देशों से शुरू होकर एक विशिष्ट गणना का वर्णन करता है और जब यह पूरा हो जाता है तब इसके आंकड़े तत्काल लक्षित निष्कर्ष तक पहुंच जाते हैं।
1850 कैमरों से की जा रही निगरानी
महाकुंभ मेला क्षेत्र और शहर में इस समय काफी संख्या में कैमरे लगे हैं। ड्रोन कैमरों से भी गणना और निगरानी हो रही है। शहर में 1100 से अधिक और केवल महाकुंभ मेला में 750 से अधिक कैमरे लगाए गए हैं। महाकुंभ क्षेत्र में प्रवेश के इस समय प्रमुख 9 मार्ग हैं। प्रवेश और निकास मार्ग पर कैमरे लगे हैं जो इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से जुड़े हैं।
टर्नअराउंड साइकिल तकनीक की होती बात
कैमरे की जद में आते ही गणना हो जाती है पर जरूरी नहीं है कि जिनकी गणना हुई वह स्नान भी उसी समय करेंगे। ऐसे में औसतन 15 से 20 प्रतिशत लोगों को अपवाद मान लिया जाता है। प्रयागराज के मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत इसके लिए टर्नअराउंड साइकिल तकनीक की बात भी करते हैं।
पर्सन एट्रिब्यूट सर्च कैमरों के आधार पर होती ट्रैकिंग
घाट क्षेत्र में एक तीर्थयात्री द्वारा औसतन लिया गया समय टर्नअराउंड साइकिल माना गया है। टर्नअराउंड समय प्राप्त नमूनों का औसत आंकड़ा होता है। इसमें पर्सन एट्रिब्यूट सर्च कैमरों के आधार पर ट्रैकिंग की जाती है। एक अन्य विधि में मोबाइल टॉवरों के आंकड़ों का वर्गीकरण होता है पर जरूरी नहीं है कि सबके पास मोबाइल फोन हो। इसलिए बड़ी गणना में इसका कम उपयोग होता है।
यहां जानें कैसे निकलता है आंकड़ा
आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों की टीम भी इसमें मदद कर रही है। पंत और आइजी प्रेम गौतम बताते हैं कि यह एक ऐसी प्रणाली है जो वास्तविक समय में भीड़ के दृश्यों वाले छवि संकेतों का विश्लेषण और प्रसंस्करण करने के लिए कंप्यूटर तकनीक का उपयोग करती है। भीड़ घनत्व का पता लगाने में मुख्य रूप से गति का पता लगाना और घनत्व का अनुमान लगाना शामिल है। इससे ही औसत आकंड़ा निकलता है।
बेस ट्रांसिवर स्टेशन से भी उठाते डाटा
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी श्रवण टी बताते हैं कि वाराणसी में भी श्रद्धालुओं की गणना में कुछ ऐसी ही तकनीक अपनाई जाती है। कुछ मौकों पर मोबाइल कंपनियों के टावर के बीटीएस (बेस ट्रांसिवर स्टेशन) से भी डाटा उठाते हैं और इनके संयोजन को भी आंकड़ों के सही अनुमान के लिए उपयोग में लेते हैं।
19 दिनों में आ चुके हैं 33.61 करोड़ श्रद्धालु
महाकुंभ में बने इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में सभी डाटा का संकलन कर अंतिम संख्या तय की जाती है। इस बार महाकुंभ में लगभग 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन का अनुमान है। अब तक 19 दिनों में लगभग 33.61 करोड़ श्रद्धालु आ चुके हैं।
मौनी अमावस्या पर जुटी थी सबसे ज्यादा भीड़
आपको बता दें कि महाकुंभ में सबसे ज्यादा भीड़ मौनी अमावस्या के दो दिनों में देखने को मिली। मौनी अमावस्या पर लगभग 13 करोड़ श्रद्धालु महाकुंभ में संगम स्नान को पहुंचे थे। प्रयाग में दुनिया का सबसे बड़ा हेडकाउंट हो रहा है, जो कीर्तिमान होगा।
वर्जन
एरिया मैपिंग कर मेला क्षेत्र में प्रवेश करने वाले और निकलने वाले लोगों की गणना की जाती है। अगर प्रवेश ज्यादा और निकास समानुपातिक नहीं हैं तो फिर सतर्कता और इसी अनुरूप पुलिस योजना बनाती है। हम मानव घनत्व के आंकलन पर निगाहें लगाए रहते हैं। - प्रेम गौतम, आइजी रेंज
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