हाई कोर्ट ने शिक्षा चयन आयोग से मांगी कार्यप्रणाली की पूरी रिपोर्ट, 28 अक्टूबर को अगली सुनवाई
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग से शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया का विस्तृत ब्योरा मांगा है। न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की एकल पीठ ने यह निर्देश एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें विद्यालय में शिक्षकों के रिक्त पदों का मुद्दा उठाया गया था। कोर्ट ने आयोग से उसकी भूमिका और अधिकारों के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है। मामला 28 अक्टूबर 2025 को फिर से सुना जाएगा।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग से शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़ी कार्यप्रणाली का पूरा ब्योरा मांगा है। न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की एकल पीठ ने यह निर्देश बाबा श्रीपति सरजू प्रसाद जूनियर हाई स्कूल के माध्यम से गिरिराज कुमारी द्वारा दायर याचिका पर दिया है।
याचिका में कहा गया था कि विद्यालय में शिक्षकों और क्लर्क के पद खाली हैं। इससे पठन पाठन प्रभावित रहेगा। आयोग से शिक्षकों की भर्ती की मांग की है।
कोर्ट ने आयोग के अध्यक्ष से स्पष्ट करने को कहा है कि शिक्षकों के चयन में आयोग की भूमिका क्या है और किन प्रविधानों के तहत उसे प्राथमिक, जूनियर हाईस्कूल, हाईस्कूल, इंटरमीडिएट तथा उच्च शिक्षा स्तर पर नियुक्तियों का अधिकार प्राप्त है? यह भी पूछा है कि क्या बेसिक शिक्षा अधिकारी को कानून के तहत किसी शिक्षक या कर्मचारी की नियुक्ति का अधिकार है?
सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि कक्षा-तीन और कक्षा-चार के पदों को अब डाइंग (मृत) कैडर घोषित कर दिया गया है। शिक्षकों के रिक्त पदों के लिए पहले परीक्षा आयोजित की गई थी और परिणाम घोषित भी हुआ था, लेकिन मामला न्यायालय में लंबित है।
कोर्ट ने सरकारी पक्ष और स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह को रिट की पूरी सामग्री देखकर स्पष्ट स्थिति बताने के निर्देश दिए हैं। अब यह मामला 28 अक्टूबर 2025 को ‘फ्रेश’ केस के रूप में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
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