मजार व कब्रिस्तान की याचिका पर हस्तक्षेप से हाई कोर्ट ने किया इनकार, अभिलेख दुरुस्तीकरण कार्यवाही को दी थी चुनौती
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने देवरिया के अब्दुल गनी शाह शरीफ मजार व कब्रिस्तान की याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में राजस्व अभिलेख दुरुस्तीकरण कार्यवाही को चुनौती दी गई थी। न्यायालय ने हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि याची के पास संबंधित प्राधिकारी के समक्ष मुद्दे उठाने का विकल्प है और नोटिस का जवाब दे सकता है।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने देवरिया की अब्दुल गनी शाह शरीफ मजार व कब्रिस्तान की ओर से दायर की गई याचिका खारिज कर दी है। याचिका में राजस्व अभिलेख दुरुस्तीकरण कार्यवाही को चुनौती दी गई थी। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने दिया है।
देवरिया में गोरखपुर रोड पर अब्दुल गनी शाह शरीफ मजार व कब्रिस्तान स्थित है। इसकी भूमि उप्र सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ने 1993 में वक्फ संपत्तियों की सूची में दर्ज कर ली थी।
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 के तहत दर्ज मामले में अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट देवरिया ने पहली सितंबर 2025 को मजार व कब्रिस्तान को लेकर राजस्व अभिलेख में संशोधन के लिए नोटिस जारी की थी।
इस नोटिस के खिलाफ अब्दुल गनी शाह शरीफ मजार व कब्रिस्तान की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। साथ ही कहा गया कि अधिकारियों को वक्फ संपत्ति को अवैध रूप से ध्वस्त करने से रोका जाए।
याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि वक्फ अधिनियम के तहत राजस्व संहिता इस मामले में लागू नहीं होगी। इसलिए राजस्व अभिलेख में संशोधन कार्यवाही जायज नहीं है।
हालांकि, न्यायालय ने यह कहते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया कि याची के पास ये सभी मुद्दे संबंधित प्राधिकारी के समक्ष उठाने का विकल्प है। याची नोटिस का जवाब दे सकता है।
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