UP News: हाई कोर्ट ने दर्जनों याचिकाएं की खारिज, सहायक अध्यापक भर्ती 2021 के परिणाम पर हस्तक्षेप से इनकार
UP News इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सहायक अध्यापक भर्ती के घोषित परिणाम की जांच कर नया परिणाम घोषित करने तथा पुराना परिणाम निरस्त करने संबंधी सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि कंप्यूटर ने विषय शिफ्ट के आधार पर ओएमआर शीट की जांच नहीं की है तो यह विधिक गलती नहीं है।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि प्रतियोगी परीक्षा की निष्पक्षता में दिशा-निर्देश का पालन भी शामिल है। यदि निर्देशों का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया है और कंप्यूटर ने विषय शिफ्ट के आधार पर ओएमआर शीट की जांच नहीं की है तो यह विधिक गलती नहीं है।
इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने सहायक अध्यापक भर्ती के घोषित परिणाम की जांच कर नया परिणाम घोषित करने तथा पुराना परिणाम निरस्त करने संबंधी सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने रंजीत कुमार यादव सहित 177 अभ्यर्थियों की याचिका खारिज करते हुए दिया है।
ये है मामला
19 फरवरी 2021 के शासनादेश के तहत सहायक अध्यापकों की भर्ती की गई। परीक्षा परिणाम 15 नवंबर 2021 को घोषित किया गया। सभी याची सफल घोषित किए गए, किंतु छह सितंबर 2022 को संशोधित परिणाम घोषित किया गया। इसमें याचियों को शामिल नहीं किया गया। इसे चुनौती दी गई। इनका कहना था कि ओएमआर भरने में कोई गलती नहीं की गई है। यह बात जांच में भी पाई गई।
ओएमआर शीट को लेकर उठ रहे सवाल
सरकार की तरफ से कहा गया कि ओएमआर शीट गलत तरीके से भरी गई है। विषय पूरी तरह से नहीं भरे गए हैं। इससे कंप्यूटर ने ओएमआर शीट की जांच नहीं की। याचियों ने विषय सही नहीं भरा है। इसकी सफाई देने में भी विफल रहे। याचियों ने दिशा निर्देशों का ठीक से पालन नहीं किया, इसलिए राहत पाने के हकदार नहीं हैं। कोर्ट ने कहा, ‘घोषित परिणाम की जांच परीक्षा की निष्पक्षता के लिए की गई है।’
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मांगी जानकारी
सहायक अध्यापक भर्ती में रिक्त पदों पर नियुक्ति की मांगी जानकारी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद से 72825 सहायक अध्यापक भर्ती के बचे हुए 12091 पदों पर काउंसलिंग के लिए विज्ञापन जारी करने और काउंसलिंग कराने के आदेश का पालन न होने पर जानकारी मांगी है। कोर्ट ने 12 वर्षों से लंबित इस विवाद पर पिछले माह काउंसलिंग कराकर फरवरी के अंतिम सप्ताह तक परिणाम जारी करने का आदेश दिया था। इस आदेश का पालन न होने पर अवमानना याचिका दाखिल की गई है।
सुनवाई टालने की मांग
याचियों के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि उक्त आदेश के विरुद्ध राज्य सरकार और सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने विशेष अपील दाखिल की है, जिस पर जल्द ही सुनवाई होनी है। उन्होंने फिलहाल इस मामले की सुनवाई टालने की मांग की।
पांच मार्च को होगी अगली सुनवाई
इस पर कोर्ट ने याचिका की प्रतिलिपि राज्य सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद के वकीलों को उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए परिषद के अधिवक्ता को प्रकरण में जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई पांच मार्च को होगी।

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