सेवानिवृत्त अध्यापिका को GPF भुगतान न होने पर हाई कोर्ट सख्त, BSA व वित्त एवं लेखा अधिकारी का वेतन रोकने का निर्देश
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त अध्यापिका को जीपीएफ भुगतान न करने पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारी और वित्त एवं लेखा अधिकारी का वेतन रोकने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम ने कुसुमा देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। अध्यापिका 31 मार्च 2021 को सेवानिवृत्त हुईं, लेकिन उन्हें जीपीएफ का भुगतान नहीं किया गया, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रिटायर सहायक अध्यापिका को जीपीएफ का भुगतान न करने के लिए वित्त एवं लेखा अधिकारी बेसिक शिक्षा आगरा और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आगरा के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने याची के जीपीएफ का भुगतान होने तक दोनों का वेतन रोकने का निर्देश भी दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने मीना कुमारी शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याची सहायक अध्यापिका के पद से 31 मार्च 2023 को रिटायर हुई और उसके बाद उनके जीपीएफ को छोड़कर उनके अन्य सेवानिवृत्ति के बाद के सभी देयकों का भुगतान कर दिया गया।
जीपीएफ के लिए याची ने यह याचिका की तो कोर्ट के आदेश के अनुसरण में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आगरा की ओर से वित्त एवं लेखा अधिकारी बेसिक शिक्षा आगरा का पत्र दाखिल किया गया।
कहा गया कि याची जीपीएफ के लिए पात्र है लेकिन धन की अपर्याप्तता के कारण इसका भुगतान नहीं किया जा सका। कोर्ट को वित्त एवं लेखा अधिकारी बेसिक शिक्षा आगरा द्वारा जीपीएफ का भुगतान न करने के लिए दिए गए कारण, यानी धन की अपर्याप्तता पर बहुत आश्चर्य हुआ।
कोर्ट ने कहा कि स्थापित कानून है कि जीपीएफ का भुगतान सेवानिवृत्त कर्मचारियों को तत्काल किया जाना चाहिए। इस दृष्टिकोण को देखते हुए वित्त एवं लेखा अधिकारी बेसिक शिक्षा आगरा और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आगरा के वेतन को तब तक रोका जाएगा, जब तक याची को स्वीकार्य ब्याज सहित जीपीएफ का भुगतान नहीं कर दिया जाता है।

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