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    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- अधिकारियों की लापरवाही का खमियाजा भुगतने के लिए याची को नहीं छोड़ सकते

    By Brijesh SrivastavaEdited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Fri, 19 Dec 2025 07:50 PM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सड़क परिवहन निगम को अनुकंपा नियुक्ति मामले में कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की लापरवाही क ...और पढ़ें

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    हाई कोर्ट ने राज्य सड़क परिवहन निगम को दो हफ्ते में नियमानुसार कार्यवाही कर सात जनवरी 2026 तक कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है।

    विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि वादकारी अधिक पढ़ा-लिखा नहीं होता, उससे यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि कानून की बारीकियों और अनुकंपा नियुक्ति के लिए लागू नियमों की जानकारी उसे हो। यह प्रशासनिक अधिकारियों की वैधानिक जिम्मेदारी है कि अपना काम पूरी सावधानी पूर्वक करें। याची को अधिकारियों की लापरवाही का खमियाजा भुगतने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता।

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    इस टिप्पणी के साथ हाई कोर्ट ने राज्य सड़क परिवहन निगम को दो हफ्ते में नियमानुसार कार्यवाही कर सात जनवरी 2026 तक कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने मुरादाबाद निवासी सुमित कुमार सिंह की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

    मुकदमे से जुड़े संक्षिप्त तथ्य यह हैं कि याची के पिता सुशील कुमार सिंह निगम में परिचालक (कंडक्टर) थे। सेवाकाल में 30 जुलाई 2000 को उनकी मृत्यु हो गई। याची की मां ने निगम को सूचना दी कि पुत्र नाबालिग है, इसलिए बालिग होने पर आश्रित नियुक्ति पर विचार किया जाय। बालिग होने के बाद याची की अर्जी पर विचार किया गया और उसे संविदा पर नियुक्ति दी गई।

    कई वर्ष सेवा के बाद याची ने संविदा नियुक्ति को चुनौती देते हुए कहा मृतक आश्रित सेवा नियमावली के अंतर्गत स्थाई नियुक्ति का नियम है। इसलिए उसकी भी स्थाई नियुक्ति की जाय। याची का कहना है कि उसे पहले कानून की जानकारी नहीं थी। निगम का दायित्व था कि उसकी नियुक्ति कानूनी उपबंधों के तहत की जाए।

    निगम के अधिवक्ता का कहना था कि याची ने संविदा नियुक्ति स्वीकार की है। इसलिए लंबी सेवा के बाद वह उसके विरुद्ध दावा नहीं कर सकता। इस पर कोर्ट ने कहा कि कानून के अनुसार काम करने की जिम्मेदारी अधिकारियों की है। इसलिए नियमानुसार याची की नियुक्ति की कार्यवाही कर कोर्ट को जानकारी दें।