Interview: 'साध्वी थी, न हूं, इंटरनेट मीडिया ने फैलाया भ्रम', महाकुंभ से फेमस हर्षा रिछारिया ने कही दिल की बात
महाकुंभ से फेमस हर्षा रिछारिया ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने साध्वी होने के बारे में स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा कि वे न तो पहले साध्वी थीं और ...और पढ़ें

मेकअप आर्टिस्ट, सामाजिक कार्यकर्ता व इंटरनेट मीडिया इंफ्लूएंसर हर्षा रिझारिया का। जागरण
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। मैं साध्वी हूं ,ये मैंने तो नहीं कहा। भगवा वस्त्र पहनने मात्र से क्या कोई साधु अथवा साध्वी हो जाता है? संन्यास की कठिन प्रक्रिया और परंपरा है, जिससे अपनाना आसान नहीं होता। अभी मैं उस मार्ग पर चलने के योग्य नहीं हूं। यह कहना है मेकअप आर्टिस्ट, सामाजिक कार्यकर्ता व इंटरनेट मीडिया इंफ्लूएंसर हर्षा रिझारिया का।
महाकुंभ-2025 में सुंदर साध्वी के रूप में विख्यात हुईं हर्षा इन दिनों युवाओं को नशा से मुक्त करने का अभियान चला रही हैं। सर्वांगीण समृद्धि समाज उत्थान समिति के बैनर तले हर्षा 27 दिसंबर को श्रीकटरा रामलीला कमेटी प्रांगण प्रयागराज से बड़े अभियान का शुभारंभ करेंगी।
दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने विवाह करने से इन्कार नहीं किया, न स्वयं के साध्वी बनने पर। बोलीं, भविष्य में कुछ भी हो सकता है, लेकिन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार से खुद को कभी अलग नहीं करेंगी। उनके जीवन का यही ध्येय है। प्रस्तुत है बातचीत का प्रमुख अंश...।
प्र. साध्वी का स्वरूप छोड़कर अचानक सामाजिक कार्यों से स्वयं को कैसे जोड़ लिया?
उ. मैं साध्वी थी ही नहीं। न मैंने कभी स्वयं को साध्वी के रूप में प्रचारित किया। ये इंटरनेट मीडिया की देन है। उसने मुझे साध्वी के रूप में प्रचारित कर दिया। मैं हर मंच पर इसका खंडन करती हूं। रही बात सामाजिक कार्य करने की तो वह पहले भी करती थी और अभी भी कर रही हूं।
प्र. महाकुंभ-2025 में तो आपका स्वरूप साध्वी वाला ही था। आप भगवा वस्त्र धारण करती थीं, गले में बड़ी-बड़ी मालाएं, माथे पर चंदन रहता था।अब उससे मोह भंग क्यों हा गया?
उ. महाकुंभ सनातन धर्म की आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र था। संगम की रेती पर समय व्यतीत करने वाला हर व्यक्ति वैराग्य के भाव में आ जाता है। मैँ भी उसी भाव में थी। मेरी तरह तमाम लोगाें ने भगवा वस्त्र धारण करके माला पहनी थी, चंदन लगाया था क्या उन्होंने संन्यास धारण कर लिया? ऐसा नहीं है।
प्र. क्या फिल्मों में काम करने के लिए आपने स्वरूप बदला है?
उ. ऐसा नहीं है। महाकुंभ के बाद मुझे कई वेब सीरीज, ओटीटी पर काम करने का आफर मिला, लेकिन मैंने इन्कार कर दिया, क्योंकि मुझे उस क्षेत्र में जाना ही नहीं है। साध्वी टैग से मैं इसलिए बच रही हूं, क्योंकि मैं उसके योग्य नहीं हूं। साध्वी बनने के लिए घर, परिवार का त्याग करना पड़ता है। तपस्या करनी होती है मैं ऐसा नहीं कर सकती। मैं परिवार का त्याग और स्वयं का पिंडदान नहीं कर सकती। परिवार व समाज से जुड़कर राष्ट्रहित में जो कर सकती हूं वो कर रही हूं।
प्र. भविष्य में साध्वी बनेंगी?
उ. देखिए भविष्य में क्या होगा उसे अभी कहना संभव नहीं है। भविष्य में कुछ भी संभव हो सकता है। विवाह करने से भी इन्कार नहीं है, न साध्वी बनने से, लेकिन होगा क्या वो नहीं पता। हां, इतना तय है कि सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और राष्ट्रहित में मेरी मुहिम हमेशा जारी रहेगी।
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प्र. आप युवाओं को नशा से दूर रहने को प्रेरित कर रही हैं, इसमें कितना सफल होंगी?
उ. युवाओं में नशा की लत सबसे बड़ी समस्या है। राष्ट्र व समाजहित के लिए यह अच्छा नहीं है। इससे उनका भविष्य चौपट हो रहा है। हमें मिलकर उन्हें नशा से मुक्त करना है। इसके लिए सर्वांगीण समृद्धि समाज उत्थान समिति के तहत अभियान चला रही हूं। खुशी है कि इस मुहिम से समाज के हर वर्ग के लोग जुड़ रहे हैं। हर प्रदेश के लोग इस पवित्र कार्य में योगदान देने को प्रयासरत हैं। इससे मुझे विश्वास है कि हम परिवर्तन लाने में सफल होंगे।
प्र. आप प्रयागराज से नारी जागृति सशक्तिकरण अभियान शुरू कर रही हैं ऐसा क्यों?
उ. मैं हमेशा चाहती थी जब नए काम की शुरुआत करूं तो वह प्रयागराज से हो, क्योंकि इस शहर ने मुझे बहुत कुछ दिया है। यहीं से विश्व स्तर पर पहचान मिली है। यह शहर तीर्थों का राजा है। यहां महादेव की शक्ति का वास है इसलिए मैंने प्रयागराज से अभियान की शुरुआत करने का निर्णय लिया है।

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