Gyanvapi: अदालत में उठा 1940 का मामला, हाई कोर्ट ने कहा- इस मामले में वह फैसला जरूरी नहीं; मिला था नमाज पढ़ने का अधिकार
इलाहाबाद हाई कोर्ट में वाराणसी स्थित ज्ञानवापी स्वयंभू विश्वेश्वर नाथ मंदिर के स्वामित्व के संबंध में वाराणसी जिला अदालत में दाखिल घोषणात्मक सिविल वाद की पोषणीयता मामले की सुनवाई शुरू हो गई है। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से दाखिल याचिकाओं की सुनवाई मंगलवार को न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने की। मस्जिद पक्ष की तरफ से दीन मोहम्मद केस का उल्लेख किया।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट में वाराणसी स्थित ज्ञानवापी स्वयंभू विश्वेश्वर नाथ मंदिर के स्वामित्व के संबंध में वाराणसी जिला अदालत में दाखिल घोषणात्मक सिविल वाद की पोषणीयता मामले की सुनवाई शुरू हो गई है।
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से दाखिल याचिकाओं की सुनवाई मंगलवार को न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने की। मस्जिद पक्ष की तरफ से दीन मोहम्मद केस का उल्लेख करते हुए कहा गया कि हाईकोर्ट से 1940 में नमाज पढ़ने का अधिकार मिला था। इस पर कोर्ट ने कहा कि वह अलग मुद्दा था। इस मामले में वह फैसला बाध्यकारी नहीं होगा।
वाद मंजूर हुआ तो मस्जिद हटा दी जाएगा: नकवी
इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने कहा, ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी गणेश हनुमान मंदिर व दृश्य-अदृश्य सभी देवताओं के पूजा अधिकार को लेकर 2021 में राखी सिंह व चार अन्य महिलाओं ने सिविल वाद दायर किया। इसकी पोषणीयता पर भी आपत्ति की गई। इसे अधीनस्थ अदालत ने खारिज कर दिया। यह आदेश हाईकोर्ट से बरकरार रहा। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित है।
उन्होंने कहा कि 2021 व 1991 के केस का संबंध एक ही संपत्ति से है। यदि वाद मंजूर होता है तो ज्ञानवापी मस्जिद हटा दी जाएगी, जो प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ होगा।
सुनवाई करने के आदेश को चुनौती
वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता का कहना था कि वाराणसी की जिला अदालत में 1991 में दाखिल मुकदमे की पोषणीयता पर याचीगण की तरफ से प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत आदेश सात नियम 11 के तहत आपत्ति दाखिल की गई। अर्जी तय न कर वाद बिंदुओं पर सुनवाई करने के आदेश को चुनौती दी गई।
हाई कोर्ट ने 17 मार्च 2020 को केस की सुनवाई पर रोक लगा दी और मंदिर पक्ष से जवाब मांगा। दोनों पक्षों की बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया गया। इसी बीच वाराणसी की अदालत में एक अर्जी दाखिल हुई, जिस पर अदालत ने सर्वे का आदेश दिया। इसे भी हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई है।
सिविल वाद की पोषणीयता पर सुनवाई
हाई कोर्ट ने सर्वे कराने के आदेश पर रोक लगा रखी है। इसी बीच अधीनस्थ अदालत के आदेश पर कोर्ट कमिश्नर भेजा गया। इस दौरान कथित शिवलिंग का पता चला। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त स्थल को सीज कर दिया है। कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट पर हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप न होने के बाद साइंटिफिक सर्वे किया जा रहा है। सर्वे का प्रकरण अर्थहीन हो चुका है। अब सिविल वाद की पोषणीयता पर सुनवाई की जानी है।
1940 के फैसले में नमाज का अधिकार
नकवी ने कहा कि 1936 में ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज पढ़ने को लेकर दीन मोहम्मद ने राज्य सरकार के खिलाफ सिविल वाद दायर किया था। राहत न मिलने पर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और हाईकोर्ट ने 1940 में फैसला दिया है। नमाज पढ़ने का अधिकार दिया गया है। कोर्ट में दीन मोहम्मद केस में दिया गया फैसला पढ़ा गया। प्रकरण में अगली सुनवाई सात दिसंबर को सुबह 10 बजे से होगी।
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