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    बंदरों की समस्या के समाधान की चार सप्ताह में कार्ययोजना बनाए सरकार: हाई कोर्ट

    Updated: Tue, 04 Nov 2025 06:00 AM (IST)

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को बंदरों की बढ़ती समस्या के समाधान के लिए चार सप्ताह में कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया है। अदालत ने सरकार से इस समस्या को गंभीरता से लेने और नागरिकों को बंदरों से बचाने के लिए प्रभावी कदम उठाने को कहा है। अदालत ने बंदरों की आबादी को नियंत्रित करने और सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के लिए एक व्यापक योजना बनाने का निर्देश दिया है।

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    विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को बंदरों की समस्या के समाधान की कार्य योजना तैयार करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली व न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने गाजियाबाद निवासी छात्रा प्राजक्ता सिंघल और समाजसेवी विनीत शर्मा की जनहित याचिका पर अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ को सुनकर दिया।

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    कोर्ट ने राज्य सरकार को बंदरों की समस्या के समाधान के लिए याची की ओर से प्रस्तावित कार्ययोजना पर विचार करने का निर्देश दिया है। बंदरों पर किसी प्रकार की क्रूरता न हो इसके लिए योजना तैयार करते समय भारतीय पशु कल्याण बोर्ड और राज्य पशु कल्याण बोर्ड से भी परामर्श करने को कहा है।

    अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ ने सुनवाई के दौरान राज्यभर में बंदरों की समस्या से निपटने के लिए प्रस्तावित कार्य योजना प्रस्तुत की। कोर्ट को बताया कि सरकार को नगर पालिका परिषद मोदीनगर द्वारा तैयार प्रारूप और योजना पर भी विचार करना चाहिए, जिसे कुछ शर्तों के साथ अपनाया जा सकता है।

    इससे पूर्व कोर्ट ने प्रमुख सचिव शहरी विकास को नगर निगम अधिनियम और उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम के अनुसार स्थानीय निकायों को उनकी जिम्मेदारी पूरी करने का आदेश देने का निर्देश दिया था।

    सरकारी वकील ने बताया कि वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के अधिकारियों के साथ प्रारंभिक बैठक आयोजित की गई है और मुद्दे को नीतिगत निर्णय की आवश्यकता है। वह कई अन्य विभागों से संबंधित है इसलिए इसमें कुछ समय लगने की संभावना है।

    राज्य सरकार ने कार्ययोजना के लिए दो महीने का समय मांगा लेकिन कोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह के भीतर कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने अपेक्षा की है कि सरकार इस पहलू को ध्यान में रखते हुए विषय वस्तु पर विचार करेगी। याचिका पर अगली सुनवाई तीन दिसंबर को होगी।