'क्या गैंग्सटर एक्ट अब बेमानी नहीं', इलाहाबाद HC ने यूपी सरकार से क्यों किया ये सवाल? तीन सप्ताह में मांगा जवाब
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद गैंगस्टर एक्ट अब बेमानी हो गया है। कोर्ट का मानना है कि बीएनएस की धारा 111 संगठित अपराध को परिभाषित करती है जिससे उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स अधिनियम के प्रावधान अनावश्यक लगते हैं। कोर्ट ने सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है और याची की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के समक्ष यह सवाल उठाया है कि क्या अब गैंग्सटर एक्ट बेमानी नहीं हो गया है? कोर्ट का कहना है कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धारा 111, जो ‘संगठित अपराध’ को परिभाषित करती है, लागू है।
ऐसे में उत्तर प्रदेश गैंग्सटर्स और असामाजिक गतिविधियां (निवारण) अधिनियम, 1986 के प्रविधान ‘अनावश्यक’ प्रतीत होते हैं। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ व न्यायमूर्ति अवनीश सक्सेना की खंडपीठ ने यह टिप्पणी करते हुए राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है और याची की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
कोर्ट ने कहा, ‘इस अदालत का मानना है कि धारा 111 बीएनएस का प्रावधान, उत्तर प्रदेश गैंग्सटर अधिनियम के प्रविधानों की तरह संगठित अपराध के लिए दंड से संबंधित है। इसलिए, धारा 111 बीएनएस शामिल होने से ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तर प्रदेश गैंग्सटर अधिनियम के प्रावधान निरर्थक हो गए हैं।
हम यह भी पाते हैं कि दंड संहिता के तहत अपराध करने के संबंध में याची के विरुद्ध गैंग्सटर अधिनियम के प्रविधान लागू किए गए हैं, जिन्हें अब बीएनएस द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया है।’
कोर्ट ने यह टिप्पणी मीरजापुर के हलिया थाना क्षेत्र निवासी विजय सिंह की याचिका की सुनवाई करते हुए की। याची के वकील ने दलील दी कि उसे झूठे मामले में फंसाया गया है। याची सभी मूल मामलों में जमानत पर है।
सरकार की ओर से एजीए ने दलीलों का विरोध किया। दलील दी कि याची इस न्यायालय से किसी भी तरह की रियायत का हकदार नहीं है। कोर्ट ने विवेचना में सहयोग की शर्त पर अगली सुनवाई तक याची की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।

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