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    एक पल को लगेगा- ये कहां आ गए हम! ठहर जाएंगे कदम, महाकुंभ में संतों के पंडाल हैं बड़े कमाल

    Updated: Fri, 17 Jan 2025 07:38 PM (IST)

    महाकुंभ मेला में शिविरों की भव्यता और अद्भुत वास्तुकला देखकर श्रद्धालु अचंभित हो रहे हैं। विभिन्न सेक्टरों में बने इन शिविरों में देवभूमि के प्रसिद्ध स्थल जैसे बद्रीनाथ केदारनाथ और काशी विश्वनाथ के माडल दर्शाए गए हैं जो लोगों को एक दिव्य अनुभव प्रदान कर रहे हैं। हर शिविर की अपनी अलग थीम और स्थापत्य है जैसे कि त्रिवेणी संगम मीरजापुर किला और हवा महल की प्रतिकृतियां।

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    महाकुंभ में संतों के पंडाल हैं बड़े कमाल

    अद्भुत, अलौकिक, दिव्य, आश्चर्यजनक। महाकुंभ में बने संतों के शिविरों को देखेंगे तो कुछ इसी तरह का अचंभा होगा। ठहर जाएंगे कुछ देर। एकबारगी ऐसा लग सकता है कि ''''ये कहां आ गए हम''''। भीतर जाने पर गलियारे किसी राजमहल का अनुभव कराएंगे। देवभूमि उत्तराखंड के प्रसिद्ध बद्रीनाथ, केदारनाथ धाम हों या उत्तर प्रदेश के वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर।

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    संगम की रेती पर इन सभी के हूबहू माडल दुनिया भर के लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। धर्म, अध्यात्म, सभ्यता-संस्कृति और प्रकृति की अनुभूति कराते पंडाल महाकुंभ की चमक-दमक बढ़ा रहे हैं तो वास्तुकला का उदाहरण भी प्रस्तुत कर रहे हैं। विभिन्न सेक्टरों में बने शिविरों को आप भी देखिए अमरदीप भट्ट की दृष्टि से......।

    संगम की रेती पर बना दिया त्रिवेणी संगम

    तीर्थराज प्रयाग में गंगा जमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम है। धार्मिक दृष्टि से इसे त्रिवेणी संगम की संज्ञा मिली है। सेक्टर-नौ में रमण रेती आश्रम गोकुल वाले गुरु शरणानंद के शिविर की थीम ही त्रिवेणी संगम है। इस शिविर में भीतर जाने के लिए एक छोटा पुल बनाया गया है।

    उद्देश्य है कि श्रद्धालु जब शिविर में जाएं तो उन्हें गंगा नदी पार करने की अनुभूति हो। शिविर में गिरिराज जी पर्वत भी बनाया गया है जिससे कि लोगों को मथुरा वृंदावन की अनुभूति हो। व्यवस्थापक उमेश जटवानी कहते हैं कि शिविर पूरी तरह से बनवाने में एक महीना लग गए।

    महाकुंभ मेला में के सेक्टर 6 में मौनी बाबा के शिविर में रूद्राक्ष से बने शिवलिंग।-गिरीशर श्रीवास्तव

    बाहर त्रिवेणी संगम का दर्शन कराने का विचार गुरु शरणानंद का ही था। संगम लोअर मार्ग पर चलते ही स्वामी अड़गड़ानंद के शिविर में किले से होकर जाना होगा। यह न तो अकबर का किला है न लाल किला। किले की थीम मीरजापुर से ली गई है जहां स्वामी अड़गड़ानंद का आश्रय स्थल है।

    आते-जाते लोग इसे एक टक देखते रह जाते हैं। स्वरूप इस तरह का दिया गया है लोग प्रथम दृष्टया इसे किला समझें। हालांकि भीतर जाने पर ठीक सामने प्रवचन स्थल है और आसपास अन्य शिविर।

    महाकुंभ मेला में के सेक्टर 9 में श्री गुरु कार्ष्णि कुंभ मेला का शिविर।-गिरीशर श्रीवास्तव

    परमार्थ निकेतन में प्रकृति और संस्कृति

    अरैल में परमार्थ निकेतन आश्रम के शिविर में अधिकांश कांसा, जूट और झाल (बोरे) का सबसे अधिक उपयोग हुआ है। वैदिक जीवन विज्ञान, ध्यान योग, हठ योग, वास्तु की दृष्टि से शिविर की अपनी विशेषताएं हैं। प्रकृति और संस्कृति का इसमें समावेश है।

    वातावरण की वैश्विक शुद्धता के लिए पेड़ का चित्र बनाया गया है तो एक शिविर की दीवार पर नागराज बनाए गए हैं। गणेश जी के शरीर को अध्यात्म की दृष्टि से दर्शाया गया है। कहीं-कहीं नटराज का स्वरूप भी चित्र में दिखाया गया है, इसके साथ मंत्र भी लिखे गए हैं। परमार्थ के अध्यक्ष् स्वामी चिदानंद की संकल्पना पर बने इस शिविर में कई अन्य विशेषताएं हैं।

    चलते हैं शिव के धाम

    सेक्टर 19 में जाएंगे तो अखाड़ा नगर से संगम लोअर मार्ग की तरफ जाने पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का माडल दिखेगी। यह अखिल भारतीय धर्म संघ के शिविर का अगला हिस्सा है जिसे शिव के धाम जैसा बनाया गया है। मंदिर के स्वर्ण शिखर का प्रतीक लगभग 80 प्रतिशत तैयार हो गया है।

    इसके निर्माण के लिए कारीगर पश्चिम बंगाल से बुलाए गए हैं। भीतर एक तरफ कथा पंडाल और दूसरी ओर यज्ञशाला अपने भव्य रूप में है। इस शिविर का अग्रभाग काशी विश्वनाथ की ही थीम पर है। सचिव जगजीतन पांडेय कहते हैं कि तीर्थ यात्रियों को शिव की अनुभूति कराने के लिए इस तरह का शिविर बनवाया गया है।

    हवा महल की बात ही निराली

    नागवासुकि से मुक्तिमार्ग होते हुए सेक्टर 16 में पहुंचने पर जयपुर के विश्वविख्यात हवा महल की प्रतिकृति दिखेगी। हवा महल को राजा सवाई मानसिंह ने बनवाया था, महाकुंभ मेला क्षेत्र में श्रीराम रतन देवाचार्य के सान्निध्य में शिष्यों ने इसका निर्माण कराया।

    शिविर में आने वालों को महलों की अनुभूति हो इस विचारधारा के साथ शिविर का निर्माण कराया गया। सेक्टर 18 में जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद के शिविर की भव्यता देख हर कोई अचंभित हो जाता है।

    महाकुंभ मेला में जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि का भव्य शिवरि।-गिरीशर श्रीवास्तव

    शिविर की बाहरी दीवार ही किसी विशाल किले की तरह बनाई गई है। जबकि भीतरी हिस्सा किसी स्वप्नलोक से कम नहीं। जिस मुख्य शिविर में स्वामी अवधेशानंद का विश्राम स्थल है उसके द्वार से लेकर कक्ष तक राजमहल की तरह बनाया गया है। इसके ठीक सामने मुक्तांगन रखा गया है जिसमें ध्वजा स्थल है।

    शिविर में विशेषता यह है कि इसी में साधकों के लिए 50 बेड का अस्पताल बनाया गया है, पुलिस चौकी, अग्निशमन चौकी बनवाई गई है। प्रभु प्रेमी सेवा संघ ट्रस्ट ने इस शिविर की खूबसूरती में कई आयाम गढ़े हैं। साधकों के लिए इसी में भोजन और रहने की विशेष व्यवस्था है।

    केदारनाथ, बद्रीनाथ धाम के दर्शन करा रहा पंडाल

    सेक्टर नौ में स्वामी कैलाशानंद ने ऐसा शिविर बनवाया है जहां पहुंचते ही सर्वप्रथम केदारनाथ के दर्शन होंगे। शिविर का पूरा अग्रभाग देवभूमि उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ धाम के मॉडल पर आधारित है। इस शिविर के सामने पहुंचते ही तमाम तीर्थयात्री नमन करते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं।

    महाकुंभ मेला में के सेक्टर 9 में निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि का शिविर।-गिरीशर श्रीवास्तव

    भीतर प्रवेश करने पर बद्रीनाथ धाम का मॉडल मिलेगा। जिस तरह से पश्चिम बंगाल के कारीगरों ने इसका निर्माण किया है वह अलौकिक ही नहीं लोगों को अचंभित करने वाला भी है। प्रत्येक दिन हजारों लोग इसे देखने के लिए पहुंच रहे हैं।

    महाकुंभ मेला में के सेक्टर 9 में निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि का शिविर।-गिरीशर श्रीवास्तव

    शिविर को बनाने वाली एजेंसी के प्रतिनिधि का कहना है कि इसे बनाने में एक महीने लग गए। कपड़े, प्लाईवुड, लोहे और बांस बल्लियों का इस्तेमाल हुआ है। करीब 10000 मीटर तो कपड़ा ही लगा है। शिविर की खूबसूरती के लिए हर वह व्यवस्था की गई है जो इसे भव्य बनाने के लिए जरूरी थी।

    एक अन्य शिविर द्वारकाचार्य पीठाधीश्वर बलदेवाचार्य ने बनवाया है। इसे राजस्थान में बनने वाले रजवाड़ाें के किले का आकार दिया गया है। शिविर की खूबसूरती बाहर तो जितनी है उससे ज्यादा भीतर भी। इसके गलियारों को रजवाड़े महलों की तरह और पूजा स्थल को भी विशेष बनाया गया है।

    इस शिविर को देखने के लिए प्रत्येक दिन सैकड़ों लोग पहुंच रहे हैं, भीतर साधकों के लिए भंडारा स्थल विशाल कक्ष में बनाया गया है जबकि विशिष्ट अतिथियों के लिए कक्ष भी हैं। शिविर के व्यवस्थापक कहते हैं कि महाकुंभ में आने पर कुछ अलग होना चाहिए इसलिए किले और महल की थीम पर शिविर का निर्माण कराया गया है।