Dev Uthani Ekadashi: 23 नवंबर को है देवउठनी एकादशी, इन बातों का रखें ध्यान; पढ़ें कब है विवाह का शुभ मुहूर्त
कार्तिक शुक्लपक्ष की एकादशी (देवोत्थान / देवउठनी) 23 नवंबर को है। उक्त तिथि पर चार माह से शयन कर रहे भगवान श्रीहरि विष्णु जाग्रत (जग) हो जाएंगे। भगवान विष्णु के जाग्रत होने पर शुभ व मांगलिक कार्य आरंभ होंगे। चहुंओर शहनाई की गूंज होगी। गृहप्रवेश यज्ञोपवीत नामकरण नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ जैसे कार्य होने लगेंगे। ज्योतिर्विद के अनुसार एकादशी तिथि 22 नवंबर की रात 10.34 बजे आरंभ हो जाएगी।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। कार्तिक शुक्लपक्ष की एकादशी (देवोत्थान / देवउठनी) 23 नवंबर को है। उक्त तिथि पर चार माह से शयन कर रहे भगवान श्रीहरि विष्णु जाग्रत (जग) हो जाएंगे। भगवान विष्णु के जाग्रत होने पर शुभ व मांगलिक कार्य आरंभ होंगे। चहुंओर शहनाई की गूंज होगी। गृहप्रवेश, यज्ञोपवीत, नामकरण, नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ जैसे कार्य होने लगेंगे।
आषाढ़ शुक्ल एकादशी (देवशयनी एकादशी) पर 29 जून को श्रीहरि के क्षीरसागर में योग निद्रा पर जाने के साथ चातुर्मास आरंभ हुआ था। इसके साथ विवाह आदि मांगलिक आयोजनों पर विराम लग गया था।
ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार, एकादशी तिथि 22 नवंबर की रात 10.34 बजे आरंभ हो जाएगी। वह 23 नवंबर की रात 8.21 बजे तक रहेगी। भगवान को सुबह 6.15 से 8.30 के मध्य जगाना चाहिए। देवोत्थान एकादशी गुरुवार के दिन पड़ रही है। भगवान विष्णु वृहस्पति के स्वामी हैं, उनका उसी दिन जागना शुभ है।
खरमास से चालू संवत के सीजन को विराम
ज्योतिषाचार्य अमित बहोरे के अनुसार 16 दिसंबर की रात 1.26 बजे सूर्यदेव वृश्चिक से धनु में प्रवेश करेंगे। खरमास लग जाएगा। इससे मांगलिक कार्यों पर माह भर के लिए विराम लगेगा। खरमास का समापन 15 जनवरी को सुबह 9.13 बजे सूर्यदेव के धनु से मकर में प्रवेश संग होगा और पुन: लगन-मुहूर्त शुरू होगा।
14 मार्च 2024 को दिन के 3.12 बजे सूर्यदेव कुंभ से मीन राशि में जाएंगे और खरमास के साथ फिर विवाह और अन्य मांगलिक आयोजनों पर विराम लगेगा, जो नए संवत में शुरू होगा।
यह है विवाह के मुहूर्त
नवंबरः 24, 27, 28, 29
दिसंबरः तीन, चार, पांच, छह, सात, आठ, नौ, 13, 14, 15, 16
जनवरी: 16, 17, 18, 20, 21, 22, 27, 28, 29, 30, 31
फरवरी: एक से सात तक, 12, 13, 14, 17, 18, 19, 23 से 27 तक
29 मार्च: एक से आठ तक, 11, 12
देवोत्थान एकादशी पर इसका रखें ध्यान
पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार देवोत्थान एकादशी पर भगवान सालिग्राम अथवा लड्डू गोपाल की मूर्ति को फूलों से जगाएं। फिर पंचामृत से अभिषेक करके पूजन करें। उन्हें मिष्ठान, सिंघाड़ा, गन्ना रस अर्पित करके शंख, घंटा-घड़ियाल बजाकर खुशी मनाना चाहिए।
भगवान शालिग्राम से तुलसी विवाह कराना शुभ होता है। तुलसी का शालिग्राम से विवाह कराने वाले भगवान विष्णु की कृपा के पात्र बनते हैं। जिन दंपत्तियों के कन्या नहीं हैं वह तुलसी को कन्यादान करके पुण्य अर्जित कर सकते हैं। उक्त तिथि पर भगवान विष्णु के नाम का कीर्तन व गरीब और गाय को भोजन कराना चाहिए।
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उक्त तिथि पर गोभी, पालक, शलजम व चावल का सेवन न करें। किसी पेड़-पौधों की पत्तियों को न तोड़े, भूल से भी किसी को कड़वे शब्द न बोलें। दूसरे से मिले भोजन को ग्रहण न करें।
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