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    भाट समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से मांगा जवाब

    Updated: Mon, 22 Jul 2024 11:44 AM (IST)

    Allahabad High Court भाट समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता व न्यायमूर्ति मनीष निगम की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य अखिल भारतीय भाट समाज एकता व उसके अध्यक्ष पवनेंद्र कुमार की याचिका पर दिया है।

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    प्रयागराज स्थित इलाहाबाद हाईकोर्ट की फोटो (जागरण)

    विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से भाट समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता व न्यायमूर्ति मनीष निगम की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य अखिल भारतीय भाट समाज एकता व उसके अध्यक्ष पवनेंद्र कुमार की याचिका पर दिया है।

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    याची की ओर से अधिवक्ता घनश्याम मौर्य ने बहस की। याचिका में कहा गया कि भाट समुदाय को विमुक्त जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसलिए केंद्र और राज्य सरकार को सार्वजनिक रोजगार में भाट समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में आरक्षण प्रदान करने का निर्देश दिया जाए।

    राज्य के कुछ जिलों में बसी विमुक्त जनजाति के भाट समुदाय को एक मई 1961 के शासनादेश द्वारा विशेष दर्जा दिया गया था। यह दर्जा शिक्षा, शैक्षणिक और सामाजिक कल्याण योजनाओं के प्रयोजनों के लिए था।

    भारत के विभिन्न राज्यों में सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण के लिए विमुक्त जनजातियों को अनुसूचित जनजाति माना जाना चाहिए। यूपी के विभिन्न जिलों में व्यवस्थित जीवन जीने, राज्य की सामाजिक कल्याण योजनाओं से लाभांवित होने के बावजूद उन्हें सार्वजनिक रोजगार और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण नहीं दिया गया।

    जून 2013 में राज्य सरकार ने सभी डीएम और कमिश्नर को एक आदेश जारी किया, जिसमें जाति प्रमाण पत्र के लिए पात्र विमुक्त जनजातियों को विमुक्त जनजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।

    कहा गया है कि अन्य विमुक्त जनजातियां बंजारा, भर, गांडीला, मल्लाह, केवट, मेवाती, नट, गूजर, गोंड, भोटिया, बुक्सा, जनसारी आदि को ओबीसी, अनुसूचित के अंतर्गत रखा गया है। इन्हें यूपी के विभिन्न जिलों में जाति और अनुसूचित जनजातियों को सार्वजनिक रोजगार और शिक्षा में आरक्षण का लाभ मिल रहा है। वहीं, भाट समुदाय को उपरोक्त लाभों से वंचित किया गया है।

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