इतिहास में पहली बार... UPPSC के अध्यक्ष को हटाने की मांग, छात्र क्यों बोले- उनकी मौजूदगी से निष्पक्ष जांच संभव नहीं
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के पीसीएस-जे-2022 परीक्षा में कापियों की अदला-बदली प्रकरण की न्यायिक जांच के बाद प्रतियोगी छात्रों ने आयोग अध्यक्ष को हटाने की मांग की है। हाई कोर्ट के निर्देश पर इस मामले की जांच सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश कर रहे हैं। दूसरी ओर एएमयू ने स्नातक और परास्नातक पाठ्यक्रमों की अवधि को चार साल कर दिया है।

राज्य ब्यूरो, प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की पीसीएस-जे-2022 की मुख्य परीक्षा में कापियों की अदला-बदली प्रकरण की न्यायिक जांच के निर्णय के बाद प्रतियोगी छात्रों ने आयोग अध्यक्ष संजय श्रीनेत को हटाने की मांग की है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने इसके लिए राज्यपाल को पत्र भेजा है।
समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय ने भेजे पत्र में आरोप लगाया है कि 2022 की पीसीएस (जे) भर्ती परीक्षा में व्यापक भ्रष्टाचार के साक्ष्य मिले हैं। हाई कोर्ट द्वारा मामले की जांच सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश से कराई जा रही है। ऐसे में अध्यक्ष की भूमिका संदेह के घेरे में है। उनकी मौजूदगी से निष्पक्ष जांच संभव नहीं है।
पेपर आउट होने के मामले में भी उठे सवाल
आरोप यह भी है कि समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा 2023 का पेपर आउट होने के मामले में भी उन पर सवाल उठे थे। छात्रों के आंदोलन और सरकारी हस्तक्षेप के बाद परीक्षा रद हुई थी, जिसकी जांच एसटीएफ को सौंपी गई थी।
इस मामले में अब तक दो दर्जन से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। आयोग के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब किसी भर्ती प्रक्रिया में हाई कोर्ट को जांच कमेटी गठित करनी पड़ी। ऐसे में निष्पक्ष जांच के लिए उनका हटाया जाना जरूरी है।
एएमयू में अब चार साल में होगी स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई
वहीं, दूसरी ओर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में अब स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई पांच साल की जगह चार साल में पूरी होगी। स्नातक में दाखिला लेने के बाद छात्रों को परास्नातक में प्रवेश लेने की भी जरूरत नहीं होगी। यही नहीं स्नातक करने के बाद एक साल का परास्नातक कोर्स किसी भी यूनिवर्सिटी में किया जा सकेगा। मंगलवार को हुई अकादमिक काउंसिल (एसी) की बैठक में नई शिक्षा नीति के तहत महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है।
प्रशासनिक भवन में तीन घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में सभी विभागों के चेयरमैन, प्रिंसिपल और डीन शामिल हुए। सात से अधिक बिंदुओं पर मंथन हुआ। प्राक्टर प्रो. एम वसीम अली ने बताया कि अभी तक बीए और एमए की पढ़ाई पांच साल में पूरी होती है। अब ऐसा नहीं होगा। बीए में प्रवेश लेने के बाद विद्यार्थी को अब एमए में दाखिला लेने के लिए प्रवेश परीक्षा नहीं देनी होगी।
ऐसे ही बीएससी-एमएससी और बीकाम-एमकाम होगा। नई व्यवस्था के अनुसार बीए की डिग्री पूर्व की तरह तीन साल में होगी, जबकि एमए की डिग्री एक साल में होगी। अन्य स्नातक व परास्नातक कोर्स में भी यही व्यवस्था रहेगी। वीमेंस कालेज में बीए करने वाली छात्राएं अब एमए की पढ़ाई मुख्य कैंपस में करेंगीं। दो साल के पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा खत्म हो जाएंगे।
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