20 मार्च को बराबर होने वाला है दिन और रात, इस खगोलीय घटना को जानकर हो जाएंगे हैरान
20 मार्च को होने वाली विषुव घटना के बारे में जानें जब दिन और रात बराबर होते हैं। इस खगोलीय घटना का अर्थ कारण और दुनिया भर में इसे मनाने के तरीके के बारे में विस्तार से जानें। साथ ही 13 मार्च को होने वाले चंद्रग्रहण और 29 मार्च को होने वाले सूर्यग्रहण के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। बहुत अधिक परिश्रमी लोगों के संदर्भ में अतिशयोक्ति अलंकार के साथ लोग कहते सुने जाते हैं दिन रात बराबर कर दिया। वास्तव में यह खगोलीय घटना इसी महीने होने जा रही है। 20 मार्च को वसंत विषुव हो रहा है अर्थात दिन व रात बराबर होंगे।
इसके अतिरिक्त इस समय आकाश में मीन, मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क और सिंह राशियां भी देखी जा रही हैं। इनके साथ ही अब तक चंद्रमा कभी शुक्र, बुध, बृहस्पति तो कभी मंगल ग्रह के निकट देखा गया है।
खगोलीय घटनाओं में रुचि रखने वालों के लिए विषुव काफी रोचक विषय है। यह शब्द लैटिन के एक्विनोक्टियम, एक्वस (बराबर) और नाक्स (रात) से लिया गया है। विषुव में पृथ्वी पर दिन और रात की अवधि लगभग समान होती है।
सौर विषुव वह समय होता है जब सूर्य पृथ्वी के भूमध्य रेखा को पार करता है। इसका अर्थ है कि सूर्य भूमध्य रेखा के उत्तर या दक्षिण की बजाय सीधे भूमध्य रेखा के ऊपर दिखाई देता है। विषुव के दिन, सूर्य ठीक पूर्व की ओर उगता है और पश्चिम की ओर अस्त होता है। ऐसा हर साल दो बार होता है, लगभग 20 या 21 मार्च और 22 या 23 सितंबर को।
ऐसे चलता है चक्र। जागरण
विषुव के दिन अपनी स्पष्ट गति में सूर्य की डिस्क सूर्योदय के समय पृथ्वी के क्षितिज को सीधे पूर्व की ओर पार करती है। जवाहर तारा मंडल के निदेशक डा. वाई रविकिरण बताते हैं कि इस बार 20 मार्च अर्थात गुरुवार को सूर्योंदय प्रात: 6:30 बजे और सूर्यास्त 6:12 बजे होगा। प्रकाश व अंधेरा का समय क्रमश: 12:9 घंटे व 11:51 घंटे होगा।
ये घटना पृथ्वी के अपने अक्ष पर 23.5 अंश झुके रहने की वजह से होती है, इसी के जरिए सूर्य की रोशनी का वितरण लगभग बराबर होता है। कई जगह इस घटना को सौर त्योहार के रूप में मनाते हैं। इसी दिन से मौसम में बदलाव माना जाता है। साइप्रस, मिस्र और स्कैंडिनेविया में इसे लेकर खासा उत्साह रहता है।
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13 को चंद्रग्रहण और 29 को सूर्य ग्रहण
13 मार्च को चंद्रग्रहण होने जा रहा है। इसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा। यह घटना उत्तरी अमेरिका में नजर आएगी। वहां पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, स्थानीय स्तर पर ब्लड मून कहा जाता है। इसमें पृथ्वी की छाया पूरी तरह से चंद्रमा को ढक लेती है, जिससे वह गहरे लाल रंग में चमकने लगता है।
तकनीकी शब्दावली में इसे रेले स्कैटरिंग कहा जाता है। इसी की वजह से सूर्योदय और सूर्यास्त के समय भी सूर्य लाल दिखाता है। पृथ्वी का वायुमंडल सूर्य के प्रकाश को मोड़ देता है, जिससे छोटी नीली तरंगदैर्घ्य छन जाती है जबकि लंबी लाल तरंगदैर्घ्य चंद्रमा तक पहुंच पाती है।
जवाहर तारामंडल की विज्ञानी सुरूर फातिमा कहती हैं कि 2025 का पहला सूर्यग्रहण भी इसी महीने होगा लेकिन भारत में नहीं देख सकेंगे। यह आस्ट्रेलिया, एशिया, हिंद महासागर में नजर आएगा। भारतीय समय अनुसार यह ग्रहण दोपहर 2.20 बजे लगेगा, शाम 6.16 बजे समाप्त होगा। पूर्ण ग्रहण की कुल अवधि 2.53 मिनट रहेगी।
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चमकदार तारे जो आसमान में दिख रहे
इन दिनों आसमान में जो चमकदार तारे दिख रहे हैं उनमें मृग, बृहल्लुब्धक, सारथी, वासुकी और भूतप हैं। इनके अतिरिक्त कृतिका, रोहणी, बहह्महृदय, पुनर्वसु, मघा, चित्रा, काक्षी, राजन्य, व्याध, प्रश्वा, अगस्त्य और स्वाति को भी देख सकते हैं। 13 मार्च को सूर्य कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेगा। बुध व शुक्र मीन राशि में हैं।
पश्चिम में इसे देख सकते हैं। मंगल मिथुन राशि में है. मध्यरात्रि 2:30 बजे यह अस्त हो रहा है। बृहस्पति वृष राशि में है, रात 12 बजे अस्त हो रहा है। शनि कुंभ राशि में है सूर्योदय से कुछ देर पहले इसे पूर्व की ओर देख सकते हैं।
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