प्रयागराज में छाया बंदरों का ऐसा खौफ, लोग घरों में हो गए हैं कैद, इन्हें पकड़ने के लिए पांच लाख रुपये का पास है बजट लेकिन...
दारागंज के हर्ष द्विवेदी और कच्ची सड़क दारागंज के पिकू अपने बालकनी में शनिवार को टहल रहे थे। इनको भी बंदरों ने हाथ और पैर में काट लिया है। अलोपीबाग के नैतिक पांडेय सुबह टहलने के लिए निकले थे तभी एक बंदर ने काट लिया। यह चार नाम तो बंदरों का आतंक किस तरह शहर में फैल रहा है यह बानगी भर है।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। सलोरी अमिताभ बच्चन की पुलिया के पास के रहने वाले शिवम मिश्र अपने छत पर चार दिन पहले टहल रहे थे। बंदरों का झूंड इनपर टूट पड़ा जब तक यह कुछ समझ पाते इनके एक बंदर झपट्टा मारकर इनके दाहिने हाथ में काट लिया।
दारागंज के हर्ष द्विवेदी और कच्ची सड़क दारागंज के पिकू अपने बालकनी में शनिवार को टहल रहे थे। इनको भी बंदरों ने हाथ और पैर में काट लिया है। अलोपीबाग के नैतिक पांडेय सुबह टहलने के लिए निकले थे तभी एक बंदर ने काट लिया। यह चार नाम तो बंदरों का आतंक किस तरह शहर में फैल रहा है यह बानगी भर है।
10 से 15 लोगों को अलग-अलग मुहल्ले में प्रतिदिन बंदर अपना शिकार बना रहे हैं। नगर निगम और वन विभाग के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। जब कि मूल बजट में बंदरों को पकड़ने के लिए चालू वित्तीय वर्ष में पांच लाख के बजट का प्राविधान किया गया है।
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शहर में बंदरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। दर्जनभर से अधिक मुहल्लों में बंदरों का आतंक काफी दिनों से बना है। सुबह और शाम बंदर छत,सीढ़ी और बालकनी में डेरा जमा लेते हैं जिससे लोग सुबह और शाम अपने घरों में कैद रहते हैं। बंदरों के दहशत से कई बच्चे स्कूल जाने से भी कतराने लगे हैं।
सुबह लोगों के टहने का समय हो, बच्चों के स्कूल जाने आने का समय हो जब देखो बंदर सड़क चौराहों पर नजर आते हैं। छतों और बालकनी में रखे गमलों को तोड़ देते हैं। धूम में सूखने के लिए डाले गए कपड़े भी फाड़ दे रहे हैं। डांटने पर बंदर खूंखार होकर हमला कर देते हैं।
शहर में प्रतिदिन आठ से 10 लोगों को बंदर अपना शिकार बना रहे हैं। बंदरों के बढ़ते आतंक से आम नागरिकों को आर्थिक और मानसिक परेशानी से जूझना पड़ रहा है। सरकारों द्वारा बंदरों की समस्या से संबंधित कई प्रकार को योजनाएं तो बनाई गई लेकिन योजनाएं फाइलों में ही दफन हो गई। धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा।
दारागंज,कीडगंज, चौक,शिवकुटी, सलोरी, अलोपीबाग, तेलियगंज,जीरो रोड,सिविल लाइंस आदि क्षेत्रों में बंदरों के काटने से कई लोग घायल हो गए हैं। नगर निगम मुख्यालय परिसर में दर्जनों बंदर अक्सर डेरा जमाए रहते हैं। कार्यालय आने वाले फरियादी बंदरों के कारण दहशत में रहते हैं।
बंदरों को पकड़ने के लिए नगर निगम की ओर से चालू वित्तीय वर्ष में पांच लाख रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। लेकिन बंदरों को पकड़ना तो दूर भगाने के लिए भी कोई नहीं आता। नगर निगम के अधिकारी कहते हैं वन विभाग वाले पकड़ेंगे, वन विभाग वाले कहते हैं नगर निगम की टीम पकड़ेगी। ऐसे में आम नागरिकों को इस समस्या से छुटकारा कौन दिलाएगा यह समझ से परे हो गया है।
बोले लोग
बंदरों का आतंक तेजी से बढ़ रहा है। नगर निगम हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है। बच्चे दहशत में रहते हैं।- शिवम मिश्र,सलोरी
आवारा कुत्तों के साथ अब बंदरों ने जीना हराम कर दिया है। छतों और सीढ़ियों पर यह डेरा जमाए रहते हैं।-हर्ष ,द्विवेदी दारागंज,
बंदरों को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले दिनों में यह बड़ी समस्या बन जाएंगे।- नैतिक पांडेय,अलोपीबाग
बच्चे दहशत में घर से बाहर नहीं निकलते हैं। स्कूल जाने और आने के दौरान डरे रहते हैं।- पिंकू, दारागंज
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नगर निगम पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डा.विजय अमृतराज ने कहा कि बंदरों को पकड़ने का काम वन विभाग का है। नगर निगम की ओर से इस काम के लिए उन्हें निर्धारित धनराशि दी जाती है। किस कारण से बंदरों की संख्या बढ़ रही है इसकी जानकारी जुटाई जाएगी। जहां पर बंदरों का प्रभाव है वहां के लोगों को जल्द ही राहत मिलेगी।
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