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    क्या किसी पोस्ट को Like करने से आप जेल जा सकते हैं? इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कर दिया क्लियर

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि सोशल मीडिया पोस्ट को लाइक करना उसे प्रकाशित या प्रसारित करना नहीं माना जा सकता इसलिए यह आइटी एक्ट की धारा 67 के तहत दंडनीय नहीं है। कोर्ट ने आगरा निवासी इमरान खान पर दर्ज केस रद्द कर दिया। इमरान ने मुस्लिम समुदाय को प्रदर्शन के लिए प्रेरित करने वाली पोस्ट को केवल लाइक किया था शेयर नहीं किया था।

    By Jagran News Edited By: Aysha Sheikh Updated: Sat, 19 Apr 2025 08:37 PM (IST)
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    इलाहाबाद हाई कोर्ट - जागरण ग्राफिक्स ।

    विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट को लाइक और शेयर करना अलग-अलग मामला है। किसी पोस्ट को लाइक करना उसे प्रकाशित या प्रसारित करना नहीं माना जा सकता। ऐसा कृत्य सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) अधिनियम की धारा 67 के अंतर्गत दंडनीय नहीं होगा।

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    धारा 67 अश्लील कंटेंट प्रसारित करने को दंडनीय मानती है। इस टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की एकलपीठ ने आगरा निवासी इमरान खान के खिलाफ केस की कार्रवाई रद कर दी है। याची के खिलाफ आगरा के मंटोला थाने में दर्ज प्राथमिकी के अंतर्गत मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) कोर्ट में केस चल रहा था।

    कोर्ट ने कहा, ‘किसी पोस्ट या संदेश को तब प्रकाशित कहा जा सकता है जब उसे पोस्ट किया जाता है और किसी पोस्ट या संदेश को तब प्रसारित कहा जा सकता है जब उसे साझा या री-ट्वीट किया गया हो।’ कहा गया कि याची ने चौधरी फरहान उस्मान नामक व्यक्ति की पोस्ट जो मुस्लिमों को बिना अनुमति प्रदर्शन के लिए एकत्रित होने के लिए थी, केवल लाइक की थी, लेकिन यह उस पोस्ट को प्रकाशित या प्रसारित करने के बराबर नहीं माना जा सकता।

    उस्मान की पोस्ट राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने के लिए कलेक्ट्रेट के पास एकत्रित होने के लिए प्रेरित करने वाली थी। इसके परिणामस्वरूप मुस्लिम समुदाय के लगभग 600-700 लोग बिना अनुमति जुलूस निकालने के लिए एकत्र हुए थे। पुलिस के अनुसार इससे शांति भंग होने का गंभीर खतरा पैदा हो गया।

    याची का पक्ष

    भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) के प्रविधानों को लागू करने के अलावा पुलिस ने इमरान खान पर आइटी अधिनियम की धारा 67 के तहत भी मामला दर्ज किया था। याची के वकील ने अदालत को बताया कि उसके फेसबुक अकाउंट पर ऐसी कोई सामग्री नहीं मिली।

    हालांकि, पुलिस का कहना था कि इसे हटा दिया गया है, लेकिन वाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इसी तरह की सामग्री पाई गई। कोर्ट ने कहा, इस पर धारा 67 आइटी अधिनियम या कोई अन्य आपराधिक मामला नहीं बनता। भड़काऊ सामग्री के संबंध में आइटी अधिनियम की धारा 67 लागू नहीं की जा सकती।

    आइटी अधिनियम की धारा 67 अश्लील सामग्री के लिए है न कि भड़काऊ सामग्री के लिए। कामुक या कामुक रुचि को आकर्षित करने वाला शब्द का अर्थ यौन रुचि और इच्छा से संबंधित है। इसलिए धारा 67 आइटी अधिनियम अन्य भड़काऊ सामग्री के लिए कोई दंड निर्धारित नहीं करता है।