बरेली हिंसा की FIR रद करने से HC का इनकार, यूपी सरकार ने कहा- 'कानून के अनुसार कार्रवाई नहीं हुई तो...'
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बरेली में सितंबर में हुई हिंसा मामले से जुड़ी प्राथमिकी रद करने की मांग वाली याचिका स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। आरोप है कि पुलिस वालों पर भीड़ ने ईंट-पत्थरों और तेजाब भरी बोतलों से हमला किया था। न्यायमूर्ति अजय भनोट और न्यायमूर्ति गरिमा प्रसाद की पीठ ने इस निर्देश के साथ याचिका निस्तारित कर दी है कि याची अदनान अन्य कानूनी उपायों का उपयोग कर सकता है।
-1763649276472.webp)
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बरेली में सितंबर में हुई हिंसा मामले से जुड़ी प्राथमिकी रद करने की मांग वाली याचिका स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। आरोप है कि पुलिस वालों पर भीड़ ने ईंट-पत्थरों और तेजाब भरी बोतलों से हमला किया था। न्यायमूर्ति अजय भनोट और न्यायमूर्ति गरिमा प्रसाद की पीठ ने इस निर्देश के साथ याचिका निस्तारित कर दी है कि याची अदनान अन्य कानूनी उपायों का उपयोग कर सकता है।
अदालत में अतिरिक्त महाधिवक्ता अनूप त्रिवेदी, सहायक महाधिवक्ता पारितोष मालवीय ने कहा कि पुलिस पर हमला किया गया जिसका काम कानून व्यवस्था कायम रखना है। खंडपीठ को बताया गया कि मौलाना तौकीर रजा की ओर से सभा का आह्वान करने के बाद यह घटना घटी। बीएनएस की धारा 191(2), 191(3), 190, 124(2), 121, 125, 352, 351(3), 109, 299 और 223 में केस दर्ज किया गया है।
अभियोजन के अनुसार 26 सितंबर को मौलाना तौकीर रजा ने समुदाय विशेष को इस्लामिया इंटर कालेज में बुलाया था। बीएनएस की धारा 163 के अंतर्गत निषेधाज्ञा के बावजूद, लगभग 200-250 लोगों की भीड़ मौलाना आजाद इंटर कालेज से श्यामगंज चौराहे की ओर बढ़ी। हाथों में तख्तियां लिए और भड़काऊ नारे लगाते हुए भीड़ ने पुलिसकर्मियों की चेतावनी और समझाने-बुझाने पर ध्यान नहीं दिया और आक्रामक हो गई। पुलिस वालों पर ईंट-पत्थर और तेजाब से भरी बोतलें फेंकी जाने लगीं। गोलियां भी चलाई गईं। कुछ पुलिसकर्मियों के कपड़े फट गए और दो अधिकारी घायल हो गए। हालात यहां तक बिगड़े कि पुलिस बल को आत्मरक्षा में गोलियां चलानी पड़ीं।
राज्य सरकार का कहना था कि यदि ऐसे मामलों में कानून के अनुसार कार्रवाई नहीं हुई तो इससे सार्वजनिक सुरक्षा और व्यवस्था के लिए खतरा पैदा हो सकता है। प्रथम दृष्टया याची के खिलाफ अपराध का पता चलता है। हरियाणा राज्य बनाम भजनलाल और निहारिका इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड बनाम महाराष्ट्र राज्य में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि इस स्तर पर कोई भी अंतरिम राहत जांच में बाधा डाल सकती है।
याची के अधिवक्ता अंसार अहमद ने कहा कि अब याची प्राथमिकी रद करने के लिए राहत पर जोर नहीं देना चाहता। परिणामस्वरूप प्राथमिकी रद करने के लिए मांगी गई राहत अस्वीकार कर दी गई।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।