Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इलाहाबाद हाई कोर्ट के 6 नए न्यायाधीशों ने ली शपथ, यहां देखिए सभी के नाम; अब कुल संख्या हुई 87

    इलाहाबाद हाई कोर्ट में आज सुबह छह नए न्यायाधीशों ने शपथ ली। मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली ने जितेंद्र कुमार सिन्हा अनिल कुमार (दशम) संदीप जैन अवनीश सक्सेना मदन पाल सिंह और हरवीर सिंह को पद की शपथ दिलाई। इनके कार्यभार ग्रहण करने के बाद हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की कुल संख्या 87 हो गई है।

    By Jagran News Edited By: Aysha Sheikh Updated: Fri, 18 Apr 2025 02:21 PM (IST)
    Hero Image
    इलाहाबाद हाई कोर्ट - जागरण ग्राफिक्स ।

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट में शुक्रवार सुबह 10 बजे मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने छह नए न्यायमूर्तियों को पद की शपथ दिलाई। सभी अभी तक जिला जज थे। जितेन्द्र कुमार सिन्हा, अनिल कुमार (दशम), संदीप जैन, अवनीश सक्सेना, मदन पाल सिंह एवं हरवीर सिंह ने अतिरिक्त न्यायमूर्ति के रूप में शपथ ली।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस दौरान अन्य न्यायमूर्ति गण तथा बार एसोसिएशन के प्रतिनिधि उपस्थित थे। शपथ ग्रहण समारोह के कारण न्यायिक कार्य दिन में 11 बजे प्रारंभ हुआ। इन छह न्यायमूर्तियों के कार्यभार ग्रहण करने के बाद 160 जजों वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट में न्यायमूर्तियों की कुल संख्या 87 हो गई है। इनमें 23 न्यायमूर्ति लखनऊ खंडपीठ के हैं।

    86 जस्टिस ही करेंगे न्यायिक कार्य 

    फिलहाल 86 जस्टिस ही न्यायिक कार्य करेंगे। दिल्ली हाई कोर्ट से स्थानांतरित जस्टिस यशवंत वर्मा के न्यायिक कार्य करने पर रोक लगी हुई है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने इसी माह के पहले सप्ताह आठ जिला जजों को इलाहाबाद हाई कोर्ट का न्यायाधीश बनाए जाने की संस्तुति की थी।

    विधि एवं न्याय मंत्रालय ने बुधवार को इनमें छह लोगों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी की थी। अभी दो जिला जजों तथा दो अधिवक्ताओं को न्यायमूर्ति बनाए जाने की संस्तुति सरकार के पास लंबित है। जिला जज तेज प्रताप तिवारी ( गोरखपुर ) तथा अब्दुल शाहिद ( प्रतापगढ़) के नाम को हरी झंडी नहीं मिल सकी है।

    दो अधिवक्ताओं सर्वश्री अमिताभ कुमार राय (लखनऊ) व राजीव लोचन शुक्ला (प्रयागराज) को भी न्यायमूर्ति बनाए जाने की संस्तुति मार्च आखिर में सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने की थी, लेकिन केंद्र सरकार ने उनके नामों पर भी अपनी मंजूरी नहीं दी है। वैसे यदि इन नामों को मंजूरी मिल भी जाती है तब भी न्यायमूर्तियों की संख्या स्वीकृत पदों से काफी कम रहेगी।