'पत्नी की इच्छा के बिना अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना अपराध', इलाहाबाद हाई कोर्ट का केस कार्रवाई रद करने से इनकार
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि पत्नी की मर्जी के बिना अप्राकृतिक यौन संबंध धारा 377 के तहत अपराध है भले ही वह दुष्कर्म न हो। दहेज उत्पीड़न के मामले में यह क्रूरता मानी जाएगी। कोर्ट ने आरोपी की याचिका खारिज करते हुए जमानत अर्जी दाखिल करने को कहा। मेडिकल जांच से इनकार करना भी कार्रवाई रद्द करने का आधार नहीं है।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि पत्नी की इच्छा के बगैर उसके साथ अप्राकृतिक सेक्स धारा 377 का अपराध माना जाएगा, भले ही यह धारा 376 के तहत दुष्कर्म का अपराध न हो। पति द्वारा पत्नी की इच्छा के विपरीत उसे दहेज की मांग में परेशान करने के लिए अप्राकृतिक सेक्स करना दहेज उत्पीड़न का अपराध है। बयान में बताई गई क्रूरता ही काफी है, विशेष डिमांड जरूरी नहीं है।
मेडिकल जांच से इन्कार करना भी किसी केस कार्रवाई को रद करने का आधार नहीं माना जा सकता। इस टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकलपीठ ने इमरान खान उर्फ अशोक रत्न के खिलाफ आपराधिक मामला रद करने से इन्कार कर दिया है और याचिका खारिज करते हुए नियमानुसार जमानत अर्जी देने के लिए कहा है।
पीड़िता ने प्रयागराज में दर्ज कराया था मुकदमा
याची का कहना था कि शिकायतकर्ता और वह पति पत्नी हैं, इसलिए अप्राकृतिक सेक्स की धारा 377 का अपराध नहीं बनता। दहेज की विशेष मांग का आरोप नहीं है। पीड़िता ने प्रयागराज के शिवकुटी थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है।
कोर्ट ने नवतेज सिंह जोहर केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले सहित तमाम निर्णयों पर विचार करते हुए कहा कि यदि बालिग पत्नी की सहमति से अप्राकृतिक सेक्स किया जाता है तो इसे अपराध नहीं माना जाएगा, लेकिन सहमति बिना जबरदस्ती पत्नी से अप्राकृतिक सेक्स धारा 377 का अपराध होगा।
बिना सहमति अप्राकृतिक सेक्स अपराध: हाई कोर्ट
कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाले से कहा, दो बालिग सहमति से अप्राकृतिक सेक्स करते हैं तो अपराध नहीं होगा। इस हद तक सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को संविधान के अनुच्छेद 14,15,19 व 21 के विपरीत मानते हुए असंवैधानिक करार दिया है, किंतु यह भी साफ कहा है कि नाबालिग, जानवर या बिना सहमति पुरुष का स्त्री से अप्राकृतिक सेक्स अपराध होगा।
कोर्ट ने टिप्पणी की, स्त्री-पुरुष का सेक्स नैसर्गिक है। अन्य तरीके नैसर्गिक नहीं हैं। भारत सहित पूरे विश्व ने इस नई परिभाषा को स्वीकार किया है। पत्नी के अलावा अन्य स्त्री की इच्छा के विरुद्ध सेक्स भी अपराध है। कानून में हुए बदलाव के कारण सेक्स की परिभाषा में भी बदलाव आया है।
अब समलैंगिक के अप्राकृतिक सेक्स को नैसर्गिक सेक्स के रूप में स्वीकार किया गया है। कोर्ट ने याची के तर्कों को भ्रामक करार देते हुए हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया।

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