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    इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, बैनामे के बाद पूरे पैसे नहीं मिलने पर निरस्त नहीं कर सकते बिक्री विलेख

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 05:30 AM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जमीन का बैनामा होने के बाद केवल बिक्री राशि का पूरा भुगतान न होने के आधार पर बिक्री विलेख को अवैध नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने खरीदार द्वारा पूरी रकम न मिलने का हवाला देकर विक्रय विलेख निरस्त करने की मांग वाली अपील खारिज कर दी।    

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    विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि जमीन का बैनामा निष्पादित हो जाने के बाद विक्रय राशि का पूरा भुगतान नहीं होने के आधार पर बिक्री विलेख को अवैध नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट खरीदार ने बिक्री की पूरी राशि न मिलने के आधार पर विक्रय विलेख निरस्त करने की मांग में दायर अपील खारिज कर दी है।

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    यह आदेश न्यायमूर्ति संदीप जैन ने गुंजन अग्रवाल की अपील पर दिया है।मथुरा निवासी अपीलार्थी ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) मथुरा के समक्ष वाद दायर किया था। उन्होंने आशीष कुमार गौतम के पक्ष में 30 नवंबर 2022 को एक पंजीकृत विक्रय विलेख निष्पादित किया था, जिसका विक्रय मूल्य 32.50 लाख रुपये निर्धारित किया गया था। अपीलकर्ता के अनुसार उसे केवल 20 हजार नकद प्राप्त हुए और शेष 32.30 लाख का भुगतान चेक के माध्यम से किया जाना था, जो बाद में बैंक खाते में अपर्याप्त धनराशि के कारण बाउंस हो गया।

    वादी ने की थी विक्रय विलेख को रद करने की मांग 

    वादी ने खरीदार को विवादित संपत्ति पर उनके शांतिपूर्ण कब्जे में हस्तक्षेप करने से रोकने और विक्रय विलेख को रद करने की मांग की थी। खरीदार ने लंबित वाद में आवेदन दायर कर कहा कि पूरी रकम का भुगतान न करने के आधार पर विक्रय विलेख को रद करने का वाद कानूनी रूप से चलने योग्य नहीं है। ट्रायल कोर्ट ने 28 अगस्त 2025 को खरीदार के आवेदन को स्वीकार कर लिया।

    फैसला सुनाया कि वादी के पास केवल शेष विक्रय राशि वसूली के लिए कानूनी उपाय उपलब्ध है, न कि पंजीकृत विक्रय विलेख को रद करने का। इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की। पक्षों को सुनने के बाद एकलपीठ ने कहा -भले ही पूरे मूल्य का भुगतान न किया गया हो, दस्तावेज निष्पादित और पंजीकृत होने के बाद बिक्री पूरी हो जाती है और शीर्षक क्रेता को हस्तांतरित हो जाता है।

    अपूर्ण भुगतान बिक्री को अमान्य नहीं करता है और हस्तांतरणकर्ता के पास एकमात्र उपाय शेष प्रतिफल की वसूली के लिए मुकदमा दायर करना है। कोर्ट ने अपील को खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा।