Lucknow News: ऑडिटर जनरल कार्यालय के मंडलीय लेखाकारों की वरिष्ठता सूची रद, क्या है वजह?
केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) की इलाहाबाद न्यायपीठ ने ऑडिटर जनरल कार्यालय में मंडलीय लेखाकारों (डिवीजनल अकाउंटेंट) की 18 नवंबर 2020 को जारी वरिष्ठता सूची रद कर दी है। कैट ने कहा है कि वरिष्ठता तय करने के नियमों को लेकर 17 अप्रैल 2017 और 25 फरवरी 2019 के कार्यालय पत्रों को पश्चात वर्ती प्रभाव दिया जाए न कि पूर्ववर्ती प्रभाव।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) की इलाहाबाद न्यायपीठ ने ऑडिटर जनरल कार्यालय में मंडलीय लेखाकारों (डिवीजनल अकाउंटेंट) की 18 नवंबर 2020 को जारी वरिष्ठता सूची रद कर दी है। यह आदेश सदस्य (न्यायिक) न्यायमूर्ति राजीव जोशी तथा सदस्य (प्रशासनिक) अंजनी नंदन शरण की खंडपीठ ने दिया है।
कैट ने कहा है कि वरिष्ठता तय करने के नियमों को लेकर 17 अप्रैल 2017 और 25 फरवरी 2019 के कार्यालय पत्रों को पश्चात वर्ती प्रभाव दिया जाए न कि पूर्ववर्ती प्रभाव। कैट में 16 मंडलीय लेखाकारों ने प्रार्थना पत्र दाखिल कर 25 फरवरी 2019 के सहायक आडिटर जनरल के पत्र और 18 नवंबर 2020 को जारी वरिष्ठता सूची को चुनौती देते हुए रद करने की मांग की थी।
ये है वजह
याची गण का कहना था कि 1991 के आदेश से उनकी वरिष्ठता विभागीय परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर तय किए जाने का नियम था, लेकिन 17 अप्रैल 2017 के कार्यालय आदेश और 25 फरवरी 2019 को जारी असिस्टेंट आडिटर जनरल के आदेश के आधार पर यह निर्णय लिया गया कि वरिष्ठता कर्मचारी चयन आयोग की मेरिट लिस्ट के आधार पर तय की जाएगी।
इसके बाद 18 नवंबर 2020 को जारी वरिष्ठता सूची में उन्हें (याचीगण को) उन लोगों से कनिष्ठ कर दिया गया, जिनकी नियुक्ति उनके बाद हुई है। आडिटर जनरल कार्यालय का कहना था कि कर्मचारी चयन आयोग के पास 1013 और उसके बाद चयनित कर्मचारियों की ही मेरिट लिस्ट उपलब्ध थी जबकि याची गण की नियुक्ति उससे पूर्व की है।
कैट का मानना था कि याचियों की वरिष्ठता पर निर्णय लेने में नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया। कैट ने वरिष्ठता सूची रद करते हुए कहा है कि 17 अप्रैल 2017 और 25 फरवरी 2019 के आदेशों को उनके जारी होने की तिथि के बाद चयनित कर्मचारियों पर प्रभावी होना चाहिए। इसका प्रभाव उन कर्मचारियों पर नहीं पढ़ना चाहिए जिनकी नियुक्ति 17 अप्रैल 2017 से पहले हुई है।
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