इलाहाबाद हाई कोर्ट में जजों के खाली पदों को लेकर क्यों दाखिल की गई जनहित याचिका? नई पीठ करेगी सुनवाई
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या पर दायर जनहित याचिका पर अब नई खंडपीठ सुनवाई करेगी। याचिका के अनुसार, न्यायालय में 12 लाख से अध ...और पढ़ें

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट में जजों के रिक्त पदों और बढ़ते लंबित मामलों पर दाखिल जनहित याचिका की अब न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा व न्यायमूर्ति प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई होगी। न्यायमूर्ति वीके बिड़ला के रिटायर होने के कारण मामले की सुनवाई के लिए नई खंडपीठ नामित की गई है।
याचिका में अधिवक्ता शाश्वत आनंद के अनुसार पांच दिसंबर तक हाई कोर्ट में 12,05,550 मामले लंबित हैं। इनमें 4,44,456 मामले ऐसे हैं जो 10 साल से अधिक समय से लंबित हैं, जबकि 2,53,82 मामले पांच से 10 वर्ष से लटके हैं। यह स्थिति सीधे-सीधे प्रणालीगत विफलता की ओर इशारा करती है।
हाल ही में कुछ नियुक्तियां हुई हैं लेकिन केवल 110 न्यायाधीश कार्यरत हैं। यह संख्या 160 की स्वीकृत संख्या से 50 कम है। याचिका में तर्क दिया गया है कि उत्तर प्रदेश जैसी 24 करोड़ की आबादी वाले राज्य के लिए 160 जज भी अपर्याप्त हैं। याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी और अधिवक्ता शाश्वत आनंद पहले ही तर्क दे चुके हैं कि 12 लाख मामलों का निपटारा 110 जज तो दूर पूरे 160 जजों के साथ भी व्यवहारिक और गणितीय रूप से असंभव है।
यदि सभी जजों के पद भर दिए जाएं तब भी मौजूदा बैकलाग को खत्म करने में पांच से 10 वर्ष लगेंगे। याचिका में कहा गया है कि न्यायपालिका की वर्तमान क्षमता संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत त्वरित और प्रभावी न्याय के मौलिक अधिकार को लगभग निष्प्रभावी बना रही है।

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