Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    न्यायिक विवेक इस्तेमाल जारी किए बिना जारी प्रोफार्मा समन रद, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीजेएम मुरादाबाद को दिया निर्देश

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक मामले में बिना न्यायिक विवेक के समन जारी नहीं किया जा सकता। अभियुक्त को समन जारी करना गंभीर मामला है जिसमें न्यायिक मस्तिष्क का प्रयोग ज़रूरी है। कोर्ट ने प्रोफार्मा समन आदेश रद्द कर सीजेएम मुरादाबाद को नए सिरे से विचार करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने मुनाजिर हुसैन की याचिका पर यह आदेश दिया।

    By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Tue, 26 Aug 2025 09:17 AM (IST)
    Hero Image
    न्यायिक विवेक इस्तेमाल जारी किए बिना जारी प्रोफार्मा समन रद

    विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक केस में बिना न्यायिक विवेक का इस्तेमाल किए प्रोफार्मा आदेश से समन नहीं जारी किया जा सकता। 

    किसी अभियुक्त को समन जारी करना गंभीर मामला है, इसमें न्यायिक मस्तिष्क का प्रयोग किया जाए। कोर्ट ने प्रोफार्मा समन आदेश रद कर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) मुरादाबाद को नए सिरे से कानून के मुताबिक विचार कर आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह आदेश न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने मुनाजिर हुसैन की याचिका निस्तारित करते हुए दिया है। याची के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता डीएस मिश्र व अभिषेक मिश्र ने बहस की। इनका कहना था कि याची निर्दोष है। प्रथम दृष्टया उसके खिलाफ कोई आपराधिक केस नहीं बनता। 

    याची ने कहा कि 2001 में समन जारी किया गया था। इससे पहले याचिका पर केस कार्यवाही पर रोक लगी थी। बाद में याचिका खारिज हो गई। कोर्ट ने समन जारी किया, जिसकी जानकारी उसे नहीं हुई। इसलिए देरी से समन आदेश को चुनौती दी गई है। समन प्रोफार्मा आदेश है, जिसे कोर्ट ने अवैध करार दिया है। आदेश बिना न्यायिक विवेक के पारित किया गया है।