Allahabad HC का महत्वपूर्ण फैसला, कहा- वाणिज्यिक गतिविधियों में नहीं कर सकते शैक्षणिक संस्थानों का उपयोग
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि शैक्षणिक संस्थानों की संपत्ति का उपयोग वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता। यह नियम खेल के मैदानों पर भी लागू होगा। कोर्ट ने राज्य सरकार को इस बारे में निर्देश जारी करने का आदेश दिया है। यह फैसला गिरजा शंकर की याचिका पर आया, जिसमें एक कॉलेज में वाणिज्यिक मेले के आयोजन को रोकने की मांग की गई थी। यह निर्णय राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों पर लागू होगा।

शिक्षा संस्थानों में व्यावसायिक गतिविधियाँ प्रतिबंधित करने का इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश दिया है।
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों की अचल संपत्तियों (जिनमें उनके खेल के मैदान भी शामिल हैं) का उपयोग वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता। चाहे वह प्रदर्शनी, व्यापार मेला या अन्य प्रकार के मेले हों। अथवा किसी भी प्रकार की वस्तुओं और माल की बिक्री के लिए हो।
हाई कोर्ट में जनहित याचिका पर सुनवाई
हाई कोर्ट ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों के बुनियादी ढांचे का उपयोग केवल शैक्षणिक गतिविधियों के लिए किया जाना चाहिए। यह निर्णय मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली व न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
राज्य सरकार को स्पष्ट परिपत्र जानी करने का निर्देश
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को इसके लिए स्पष्ट परिपत्र जारी करने का निर्देश दिया है। इसमें जिला व पुलिस प्रशासन, शैक्षणिक संस्थानों को न्यायालय के निर्देशों के अनुसार कार्य को लिए कहा गया है।
क्या है मामला
जनहित याचिका में याची गिरजा शंकर ने राज्य प्राधिकरणों को निर्देश देने की मांग की थी कि ब्रह्मानंद डिग्री कालेज (सरकारी सहायता प्राप्त कालेज) में आयोजित किए जा रहे वाणिज्यिक मेले को रोकें, क्योंकि उसका उद्देश्य शिक्षा प्रदान करना है। सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा कि शैक्षणिक संस्थान केवल शिक्षा प्रदान करने के लिए होते हैं, उनकी भूमि व इमारतों का उपयोग वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता।
फैसला राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों पर लागू हो
कोर्ट ने कहा कि प्रदेश के शैक्षणिक संस्थानों की अचल संपत्तियों, जिनमें उनके खेल के मैदान भी शामिल हैं। इसका उपयोग किसी भी नाम से वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता है। यह फैसला उन सभी शैक्षणिक संस्थानों पर लागू होगा जो राज्य में स्थित हैं।
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