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    'जीवविज्ञान शिक्षकों के लिए अलग से पद क्यों?' सहायक अध्यापक भर्ती की वैधता पर HC ने सरकार से मांगा जवाब

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 10:50 PM (IST)

    हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में सहायक अध्यापक भर्ती की वैधता पर सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा कि नई शिक्षा नीति के तहत विज्ञान विषय बनने पर जीव विज्ञान के शिक्षकों के लिए अलग पद क्यों? भर्ती विज्ञापन में विज्ञान और जीव विज्ञान के पदों के लिए अलग-अलग भर्तियां निकाली गईं जबकि 1998 की नीति में तीनों विषय एक हो गए थे।

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    जीवविज्ञान शिक्षकों के लिए अलग से पद क्यों विज्ञापित : हाई कोर्ट।

    विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में सहायक अध्यापक भर्ती की वैधता चुनौती याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि जब नई शिक्षा नीति के तहत जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान को मिलाकर ‘विज्ञान’ विषय कर दिया गया है तो जीव विज्ञान के शिक्षकों के लिए अलग से पद क्यों विज्ञापित किए गए हैं?

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    संतोष कुमार पटेल और चार अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया है। न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति अरुण कुमार की खंडपीठ इस मामले में अगली सुनवाई 16 सितंबर 2025 को करेगी। भर्ती विज्ञापन में हाई स्कूल स्तर पर सहायक अध्यापक (विज्ञान) और (जीव विज्ञान) के पदों के लिए अलग-अलग भर्तियां निकाली गईं।

    वर्ष 1998 में राज्यपाल द्वारा अनुमोदित राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान को एक ही ‘विज्ञान’ विषय में मिला दिया गया था। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने भी 28 मई, 1998 को यह जानकारी दी थी कि अब ‘विज्ञान-1’ और ‘विज्ञान-2’ की जगह एक ही ‘विज्ञान’ पेपर होगा और जीव विज्ञान को एक अलग विषय के रूप में नहीं पढ़ाया जाएगा।

    इसी तरह, इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र को मिलाकर ‘सामाजिक विज्ञान’ कर दिया गया है। तर्क दिया है कि इस नीति के बावजूद विज्ञापन में सहायक अध्यापक (विज्ञान) और सहायक अध्यापक (जीव विज्ञान) के लिए अलग-अलग शैक्षणिक योग्यताएं निर्धारित की गई हैं।

    सहायक अध्यापक (विज्ञान) के लिए भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान के साथ स्नातक की डिग्री मांगी गई है, जबकि (जीव विज्ञान) के लिए जूलाजी और बाटनी के साथ स्नातक की डिग्री अनिवार्य की गई है। जिन्होंने जूलाजी, बाटनी और केमिस्ट्री के साथ स्नातक किया है, उनका कहना है कि इस तरह के विभाजन से वे सहायक अध्यापक (विज्ञान) के पदों के लिए पात्र नहीं होंगे। सामाजिक विज्ञान के विषयों के लिए ऐसा कोई भेदभाव नहीं है।

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