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    'स्कूल रजिस्टर की एंट्री जन्म प्रमाणपत्र नहीं', हाई कोर्ट ने कहा- TC बर्थ सर्टिफिकेट की कानूनी जरूरत नहीं करता पूरी

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 02:00 AM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि केवल स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट या दाखिला रजिस्टर में प्रविष्टि किशोर न्याय अधिनियम की धारा 94 के तहत जन्म प्रमाणपत ...और पढ़ें

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    विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि सिर्फ स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट या स्कूल के दाखिला रजिस्टर में प्रविष्टि, किशोर न्याय अधिनियम की धारा 94 के तहत जन्म प्रमाणपत्र की आवश्यकता को पूरा नहीं करती है। यह निर्णय न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय व न्यायमूर्ति जफीर अहमद की खंडपीठ ने दिया है।

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    कोर्ट ने कहा कि बाल कल्याण समिति बिना अधिकार क्षेत्र के काम करती है और बिना सत्यापित किए गए स्कूल रिकार्ड के आधार पर किसी व्यक्ति को संरक्षण गृह में रखने का आदेश देती है, तो ऐसी याचिका सुनवाई योग्य है।याचिका दाखिल करने वाले जोड़े ने आरोप लगाया कि उन्होंने 2023 में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी की थी। लड़की की मां ने अपहरण का आरोप लगाकर प्राथमिकी दर्ज कराई और दावा किया कि उसकी बेटी का जन्म 11 मई 2008 को हुआ और वह नाबालिग है।

    लड़की ने कहा कि वह 19 साल की है। आधार कार्ड और मेडिकल जांच में भी लड़की की उम्र 18 साल या उससे ज्यादा बताई गई। बाल कल्याण समिति कन्नौज ने टीसी में जन्म तिथि 11 मई 2008 के आधार पर लड़की को नाबालिग मानते हुए कानपुर नगर के सरकारी बाल गृह भेज दिया। लड़की और उसके पति ने उसे बाल गृह से रिहाई के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की।

    सरकारी वकील का कहना था कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। तर्क दिया कि बाल कल्याण समिति जेजे एक्ट 2015 की धारा 27(9) के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास की शक्तियों के साथ कोर्ट के रूप में काम करती है। इस प्रकार रचना और अन्य बनाम राज्य में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार हिरासत के वैध न्यायिक आदेश के खिलाफ हेबियस कार्पस की रिट जारी नहीं की जा सकती।

    खंडपीठ ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि आमतौर पर न्यायिक हिरासत के खिलाफ रिट पर विचार नहीं किया जाता लेकिन इसमें एक महत्वपूर्ण अपवाद है। हाई कोर्ट ने कहा कि हेबियस कार्पस याचिका में हिरासत आदेश की वैधता की जांच यह पता लगाने के लिए की जा सकती है कि क्या आदेश में अधिकार क्षेत्र की कमी है, क्या यह पूरी तरह अवैध है या इसे यांत्रिक तरीके से किया गया है। कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने का आदेश अधिकार क्षेत्र के बिना है या पूरी तरह अवैध है या यांत्रिक तरीके से किया गया तो बंदी को रिहा करने का निर्देश देने वाली हेबियस कार्पस की रिट जारी की जाएगी।-----