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    'MDI चिकित्सालय में निदेशक का पद स्वतंत्र व स्वीकृत है या नहीं...', HC का चिकित्सा शिक्षा सचिव से सवाल

    Updated: Sun, 20 Jul 2025 10:41 PM (IST)

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चिकित्सा शिक्षा सचिव से पूछा है कि क्या मनोहर दास क्षेत्रीय नेत्र विज्ञान संस्थान में निदेशक का पद स्वतंत्र है। कोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा सचिव को कानून के आधार पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने वित्तीय और प्रशासनिक कार्य मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को सौंप दिए हैं। डॉ. अपराजिता चौधरी की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई है।

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    एमडीआइ चिकित्सालय में निदेशक का पद स्वतंत्र व स्वीकृत है या नहीं : हाई कोर्ट।

    विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सचिव चिकित्सा शिक्षा से पूछा है कि क्या मनोहर दास क्षेत्रीय नेत्र विज्ञान संस्थान (एमडीआइ) प्रयागराज में निदेशक का पद स्वतंत्र व स्वीकृत है या नहीं? क्या मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज का नेत्र विज्ञान विभागाध्यक्ष संस्थान के निदेशक का पद पदेन रूप से धारण करेगा?

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    कोर्ट ने एमडीआइ चिकित्सालय के निदेशक पद के स्टेटस को लेकर चिकित्सा शिक्षा सचिव को कानून के आधार पर निर्णय लेने और अपनी रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि यदि निर्णय प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो सचिव उस दिन कोर्ट में उपस्थित रहेंगे।

    अगली सुनवाई तीन सितंबर को होगी। हाई कोर्ट ने इस बीच एमडीआइ चिकित्सालय के निदेशक पद पर उत्पन्न विवाद को देखते हुए सभी वित्तीय एवं प्रशासनिक कार्य मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज प्रयागराज के प्रधानाचार्य को सौंप दिए हैं। वहां के शैक्षणिक कार्य कोर्ट ने याची विभागाध्यक्ष को देखने का निर्देश दिया है।

    साथ ही डा. अपराजिता चौधरी को एमडीआइ चिकित्सालय का निदेशक नियुक्त करने के गत सात मई के आदेश को स्थगित कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज में नेत्र विभाग के अध्यक्ष डा. संतोष कुमार व चार अन्य की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है।

    कोर्ट ने कहा कि लगता है कि मामले से निपटते समय चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक ने केवल पांच अप्रैल 2006 के सरकारी आदेश पर भरोसा करके मुद्दे को बहुत जल्दबाजी और सरसरी ढंग से तय किया है, बजाय इसके कि विभागाध्यक्ष और मनोहर दास नेत्र संस्थान के निदेशक का पद एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं, जिनके पास स्वीकृत पदों की स्थिति है। उनसे जुड़े वेतनमान, प्रशासनिक और वित्तीय दोनों तरह के कार्यभार हैं।

    कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार और डा. अपराजिता चौधरी की ओर से न्यायालय के समक्ष कोई परिपत्र या सरकारी आदेश प्रस्तुत नहीं किया गया है। संस्थान की स्थिति के बारे में कोई विवाद नहीं है कि यह मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज से संबद्ध है, जिसका एक प्रशासनिक प्रमुख कालेज का प्रधानाचार्य है। न ही इस तथ्य के बारे में कोई विवाद है कि नेत्र विज्ञान का यह संस्थान मेडिकल कालेज से स्वतंत्र कोई डिग्री या डिप्लोमा प्रदान नहीं करता है।

    कालेज के स्नातकोत्तर इंटर्न और नेत्र विज्ञान के क्षेत्र से संबंधित छात्रों का इस संस्थान में अध्ययन आदि के उद्देश्यों के लिए आना और संस्थान में नेत्र विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसरों, एसोसिएट प्रोफेसरों और प्रोफेसरों को कर्तव्यों का असाइनमेंट भी विवादित नहीं हो सकता है। कोर्ट ने आदेश में दो मुद्दे तय करने को कहा है।

    पहला यह कि क्या मनोहर दास क्षेत्रीय नेत्र विज्ञान संस्थान के लिए निदेशक का पद सृजित किया गया है और क्या प्रासंगिक नियमों और विनियमों के तहत इस पद पर विशेष वेतनमान और भत्ते स्वीकार्य किए गए हैं? दूसरा यह कि क्या मनोहर दास क्षेत्रीय नेत्र विज्ञान संस्थान का विभागाध्यक्ष मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज का एक अभिन्न अंग है और इसलिए कालेज का नेत्र विज्ञान विभागाध्यक्ष संस्थान के निदेशक का पद पदेन रूप से धारण करेगा, जिसमें कोई अतिरिक्त वेतन और भत्ते नहीं होंगे?

    कोर्ट ने याची व विपक्षी दोनों डाक्टरों से चिकित्सा शिक्षा सचिव के समक्ष प्रत्यावेदन के साथ अपना-अपना पक्ष 31 जुलाई से पूर्व प्रस्तुत करने को कहा है। साथ ही चिकित्सा शिक्षा सचिव को निर्देश दिया कि कानून के अनुसार सकारण व विस्तृत आदेश 30 दिन के अंदर करें।