Allahabad High Court: तीसरे बच्चे के लिए मातृत्व अवकाश अर्जी अस्वीकारने का आदेश रद, नये सिरे से आदेश देने का निर्देश
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बिजनौर के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें तीसरे बच्चे के जन्म पर मातृत्व अवकाश अस्वीकार कर दिया गया था। कोर्ट ने बीएसए को कानूनी प्रावधानों के तहत चार सप्ताह में नया आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।

विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बिजनौर के 30 अगस्त, 25 के उस आदेश को विधि सिद्धांत विपरीत मानते हुए रद कर दिया है जिसमें तीसरे बच्चे के जन्म के लिए मातृत्व अवकाश अस्वीकार कर दिया गया था।
बीएसए को तय कानूनी उपबंधों के तहत मातृत्व अवकाश देने के संबंध में चार सप्ताह में नए सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया गया है। बीएसए ने यह कहते हुए अवकाश अर्जी निरस्त कर दी थी कि याची के दो जीवित बच्चे मौजूद हैं, इसलिए तीसरे बच्चे के जन्म के लिए मातृत्व अवकाश नहीं दिया जा सकता।
यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने अंशुल दत्त की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची की तरफ से अधिवक्ता मिथिलेश कुमार तिवारी ने बहस की। इनका कहना था कि याची प्राइमरी स्कूल मेमन सादात, ब्लाक कीरतपुर, बिजनौर में सहायक अध्यापिका है। उसकी नियुक्ति 28 जून, 2016 को हुई थी।
दो जुलाई, 2016 को ज्वाइन किया, उस समय एक बच्ची प्रज्ञा विद्यार्थी थी। अध्यापिका बनने के बाद एक बच्चे के गर्भ में आने पर मातृत्व अवकाश दिया गया। तीसरा बच्चा गर्भ में आने पर याची ने मातृत्व अवकाश की छुट्टी की अर्जी दी और 15 सितंबर, 2025 से 13 मार्च, 2026 तक अवकाश मांगा।
याची के अधिवक्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के उमादेवी केस व हाई कोर्ट ने नीलम शुक्ला केस में विधि सिद्धांत प्रतिपादित किया है। इसके तहत याची मातृत्व अवकाश पाने की हकदार हैं।
तीसरे बच्चे के जन्म के लिए मातृत्व अवकाश से इनकार नहीं किया जा सकता। इस पर कोर्ट ने बीएसए को स्थापित विधि सिद्धांत के अनुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
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