Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'अतिक्रमण की शिकायत पर गुंडे-माफिया पीट रहे...', हाई कोर्ट ने जताई चिंता; अधिकारियों से जवाब तलब

    Updated: Mon, 01 Sep 2025 08:54 PM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण की रिपोर्ट करने वाले कार्यकर्ताओं को धमकाना गलत है। कोर्ट ने संत कबीर नगर जिले में अतिक्रमण और याचिकाकर्ता की पिटाई पर चिंता जताई। कोर्ट ने अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याची का आरोप है कि सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जा किया गया और पुलिस ने पीड़ितों के बजाय आरोपियों की एफआईआर दर्ज की।

    Hero Image
    अतिक्रमण रिपोर्ट करने वालों को धमकाने पर हाईकोर्ट चिंतित ।

    विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि यदि सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण जैसी गतिविधियों की रिपोर्ट करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को गुंडे-माफिया द्वारा धमकाया और पीटा जाएगा तो समाज में हो रही इस तरह की गड़बड़ियों को उजागर करने वाला कोई नहीं बचेगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यदि राज्य के अधिकारी अपने कर्तव्यों का सही से पालन करते तो जनहित याचिका दायर करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। यह टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकलपीठ ने संत कबीर नगर जिले के गांव उमिला बुद्धा कलां में सार्वजनिक उपयोग की गांव सभा भूमि पर अतिक्रमण तथा इसे लेकर जनहित याचिका दाखिल करने वाले की पिटाई पर गंभीर चिंता जताई है।

    कोर्ट ने कमल नारायण पाठक की जनहित याचिका पर जिले के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में जवाब मांगा है। याची की तरफ से अधिवक्ता विजय विक्रम सिंह ने पक्ष रखा। प्रकरण में अगली सुनवाई 15 सितंबर, 2025 को होगी।

    याची का कहना है कि गांव के तालाब, खलिहान, गड़ही, ठीकरी (भीटा) आदि सार्वजनिक उपयोग की भूमि पर विपक्षियों ने अवैध कब्जा कर निर्माण कर लिया है। खलीलाबाद के एसडीएम ने जानकारी दी कि अतिक्रमण के विरुद्ध 47 मामले दर्ज हैं, जो अभी भी लंबित हैं।

    याचिका में याची के भाइयों पर हमले और पुलिस की मनमानी का गंभीर आरोप लगाया गया है। आरोप है कि 26 अप्रैल, 2025 को याची के भाई दीप नारायण और राज नारायण पाठक को प्राथमिक पाठशाला में बुलाकर उनकी पिटाई की गई।

    जब वे पुलिस थाने पहुंचे तो पुलिस ने पीड़ितों की बजाय आरोपियों की एफआइआर पहले दर्ज की और पीड़ितों को धमकाया गया। कोर्ट ने संत कबीर नगर के कलेक्टर, एसपी, एसडीएम, तहसीलदार, थाना प्रभारी और जूनियर इंजीनियर को 10 दिनों के भीतर अपने व्यक्तिगत हलफनामे दाखिल कर आरोपों का जवाब देने का निर्देश दिया है।

    comedy show banner