इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, FIR में अभियुक्त के जाति का उल्लेख नहीं करने के आदेश
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शराब तस्करी मामले में FIR और जब्ती मेमो में अभियुक्त की जाति का उल्लेख करने की प्रथा को समाप्त करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने इसे कानूनी भ्रांति बताते हुए संवैधानिक नैतिकता के लिए चुनौती बताया। कोर्ट ने राज्य सरकार को पुलिस दस्तावेजीकरण प्रक्रियाओं में बदलाव करने का निर्देश दिया जिसमें अभियुक्तों और गवाहों की जाति से संबंधित कॉलम हटाने को कहा गया।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शराब तस्करी से जुड़े एक आपराधिक मामले को रद करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए एफआइआर और जब्ती मेमो में अभियुक्त की जाति का उल्लेख करने की प्रथा को तत्काल समाप्त करने को कहा है।
अपने निर्णय में न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने इसे कानूनी भ्रांति व पहचान की प्रोफाइलिंग बताते हुए कहा कि यह संवैधानिक नैतिकता को कमजोर करती है। यह भारत में संवैधानिक लोकतंत्र के लिए गंभीर चुनौती है।
कोर्ट ने प्रदेश सरकार को पुलिस दस्तावेजीकरण प्रक्रियाओं में व्यापक बदलाव करने का निर्देश दिया है। आधिकारिक फार्मों से अभियुक्तों, मुखबिरों और गवाहों की जाति से संबंधित समस्त कालम और प्रविष्टियों को हटाने का आदेश दिया है। अपर मुख्य सचिव गृह, डीजीपी के परामर्श से स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर तैयार करें।
कोर्ट ने प्रवीण छेत्री नामक व्यक्ति की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने अपने खिलाफ शराब तस्करी के मामले में आपराधिक कार्यवाही रद करने की मांग की थी।
मामले के अनुसार प्रवीण छेत्री ने अर्जी दाखिल कर मुकदमे की पूरी आपराधिक कार्यवाही रद करने की मांग की गई थी। मामला इटावा के जसवंत नगर थाने का है। अभियोजन पक्ष के अनुसार 29 अप्रैल 2023 को पुलिस टीम ने स्कार्पियो गाड़ी को रोका, उसमें याची प्रवीण छेत्री सहित तीन व्यक्ति पकड़े। वाहन की तलाशी में 106 बोतल व्हिस्की बरामद हुई, जिस पर केवल हरियाणा में बिक्री के लिए लिखा था। साथ ही फर्जी नंबर प्लेट मिली।
बरामदगी मेमो में अभियुक्तों की जाति माली, पहाड़ी राजपूत और ठाकुर के रूप में दर्ज की गई। इनसे मिली जानकारी के आधार पर एक और कार को रोका गया, जिसमें से 254 बोतल शराब बरामद हुई। दूसरी गाड़ी के मालिक की पहचान पंजाबी पाराशर और ब्राह्मण जातियों के साथ की गई। अभियुक्तों ने हरियाणा से बिहार में शराब की तस्करी करने और प्रवीण क्षेत्री को अपना गैंग लीडर बताने की बात स्वीकार की।
कोर्ट ने एफआइआर और जब्ती मेमो में अभियुक्त की जाति का उल्लेख करने पर कड़ी आपत्ति जताई। इस प्रथा के लिए डीजीपी के तर्कों की आलोचना की और जाति-आधारित पहचान से होने वाले मनोवैज्ञानिक व सामाजिक नुकसान पर दूरगामी टिप्पणियां की। कोर्ट ने आधार कार्ड, फिंगरप्रिंट और मोबाइल कैमरों जैसे आधुनिक उपकरणों के युग में पहचान के लिए जाति पर निर्भरता को कानूनी भ्रांति करार दिया।
कोर्ट ने डीजीपी की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने खुद को एक ऐसे पुलिसकर्मी की तरह संचालित किया जो संवैधानिक नैतिकता से अलग-थलग हों। अंततः वर्दी में एक नौकरशाह के रूप में सेवानिवृत्त हो गए।
2047 तक एक विकसित राष्ट्र के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए जाति का विनाश हमारे राष्ट्रीय एजेंडे का एक केंद्रीय हिस्सा होना चाहिए। अपराध विवरण फार्म, गिरफ्तारी/कोर्ट सरेंडर मेमो और पुलिस अंतिम रिपोर्ट सहित सभी पुलिस फार्मों से जाति या जनजाति से संबंधित प्रविष्टियां हटा दी जाय। पुलिस फार्मों में पिता/पति के नाम के साथ मां का नाम जोड़ा जाए।
थानों में नोटिस बोर्ड पर अभियुक्तों के नाम के सामने जाति का कालम तत्काल प्रभाव से मिटा दिया जाय। जाति का महिमामंडन करने वाले या क्षेत्रों को जातिगत क्षेत्र या संपत्ति घोषित करने वाले साइनबोर्ड तुरंत हटाना चाहिए। - इलाहाबाद हाई कोर्ट
वाहनों पर जाति-आधारित नारों पर प्रतिबंध लगाया जाए
केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन कर सभी वाहनों पर जाति-आधारित नारों और पहचानकर्ताओं पर स्पष्ट रूप से प्रतिबंध लगाया जाय। इंटरनेट मीडिया पर जाति का महिमामंडन व घृणा फैलाने वाली सामग्री के खिलाफ कार्रवाई के लिए आइटी नियमों को मजबूत किया जाए। नागरिकों के लिए उल्लंघनों की रिपोर्ट करने के लिए एक निगरानी तंत्र स्थापित किया जाय। - इलाहाबाद हाई कोर्ट
कोर्ट ने रजिस्ट्रार अनुपालन को निर्देश कि आदेश की कापी प्रदेश शासन के मुख्य सचिव को भेजी जाय, जो उसे मुख्यमंत्री को सूचना के लिए प्रस्तुत करेंगे। अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) और पुलिस महानिदेशक को तुरंत अनुपालन के लिए भेजने को कहा है। आदेश की एक कापी केंद्रीय गृह सचिव, मंत्रालय परिवहन और राजमार्ग के सचिव, इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव, प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के सचिव को भेजने का निर्देश दिया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।