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    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा- डिजिटल फ्राड मामलों में क्या कार्रवाई की गई

    By Jagran News Edited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Fri, 05 Dec 2025 07:50 PM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि साइबर अपराध और जाली दस्तावेजों से जुड़े मामलों में क्या कार्रवाई की गई है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि साइब ...और पढ़ें

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    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया कि डिजिटल फ्राड मामलों में क्या कार्रवाई हुई।

    विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि डिजिटल अरेस्ट और ऐसे जाली डाक्यूमेंट्स पीड़ितों के बारे में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के पालन में क्या कार्रवाई की गई है, जिनके बैंक अकाउंट का इस्तेमाल साइबर फ्राड ने गैर-कानूनी ढंग से पैसे ट्रांसफर करने के लिए किया है।

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    न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अचल सचदेव की खंडपीठ ने वाराणसी की सुषमा देवी द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है और याचिका में सीबीआइ को पक्षकार बनाने की अनुमति दे दी है। प्रकरण में अगली सुनवाई आठ जनवरी 2026 को होगी।

    याची के अधिवक्ता जितेंद्र सरीन ने बताया कि याची मल्टी-स्टेट साइबर फ्राड गैंग का शिकार हुई है। अगस्त 2025 में उसके पास हर्ष नामक व्यक्ति की काल आई। उसने खुद को लोन ऑफिसर बताया और अच्छे इंटरेस्ट रेट पर 10 लाख रुपये का बिजनेस लोन देने का आफर देकर ठग लिया। साइबर सेल असली गुनाहगारों का पता लगाने में नाकाम रही है। बताया कि इस बात की आशंका है कि पुलिस मामले में याची को ही बलि का बकरा बना सकती है, क्योंकि उसके बैंक अकाउंट का इस्तेमाल मनी लाड्रिंग के लिए किया गया था।

    याची के मुताबिक, लोन पात्रता के लिए लेन-देन इतिहास बनाने के बहाने आरोपियों ने कथित तौर पर पहली सितंबर 2025 को बैंक ऑफ बड़ौदा में करेंट एकाउंट खुलवाया और 48 घंटे में एक करोड़ रुपये ओटीपी के माध्यम से स्थानांतरित किए गए। इसका पता तब चला जब बैंक ने संदिग्ध लेन देन के कारण खाता सीज कर दिया। याची ने चोलापुर थाने में शिकायत की। एफआइआर दर्ज नहीं की गई। कहा गया कि साइबर सेल गंभीरता से विचार कर रहा है।

    याची ने फ्राड की सीबीआइ या प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच कराने की मांग की है। उसकी तरफ से कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने ‘इन री: विक्टिम्स आफ डिजिटल अरेस्ट रिलेटेड टू फोर्ज्ड डाक्यूमेंट्स’ में ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम का खुद संज्ञान लिया है, जहां धोखेबाज अधिकारी बनकर जाली डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल कर पैसे ऐंठते हैं। शीर्ष कोर्ट ने सीबीआइ को पूरे देश में जांच करने का निर्देश देते हुए केंद्र और राज्यों से संगठित साइबर क्राइम से निपटने के लिए संस्थागत समाधान के लिए भी हिदायत दी है।