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    मृतक आश्रित कोटे में सहायक अध्यापक पद पर नहीं हो सकेगी नियुक्ति, HC ने अवैध करार दिया; रद किया शासनादेश

    Updated: Fri, 18 Apr 2025 11:00 PM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मृतक आश्रित सेवा नियमावली के तहत आश्रित को सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त करने को असंवैधानिक बताया है। अदालत ने 4 सितंबर 2000 और 15 फरवरी 2013 के शासनादेशों को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सहायक अध्यापक पद सामाजिक स्टेटस का विषय है जबकि आश्रित नियुक्ति आर्थिक मदद है।

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    मृतक आश्रित कोटे में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति अवैध, शासनादेश रद। (तस्वीर जागरण)

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में मृतक आश्रित सेवा नियमावली के अंतर्गत आश्रित को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त किए जाने को अनुच्छेद 14,16,व 21 ए के विरूद्ध होने के कारण असंवैधानिक करार दिया है।

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    साथ ही मृतक आश्रित को सहायक अध्यापक नियुक्त करने की अनुमति देने वाले चार सितंबर 2000 व 15 फरवरी 2013 के शासनादेशों को रद करते हुए सरकार को इन पर अमल न करने का निर्देश दिया है। याचिका में शासनादेशों की वैधता को चुनौती नहीं दी गई थी, इसलिए कोर्ट ने स्वत: प्रेरित सुनवाई कर रद कर दिया।

    यह फैसला न्यायमूर्ति अजय भनोट की एकल पीठ ने शैलेन्द्र कुमार व पांच अन्य की समान याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने याचीगण के लिए सहायक अध्यापक के अतिरिक्त अन्य किसी पद पर नियुक्ति के संबंध में तीन महीने में विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

    कोर्ट ने की ये टिप्पणी

    कोर्ट ने कहा, सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति सामाजिक स्टेटस का विषय है, जबकि आश्रित कोटे में नियुक्ति परिवार में अचानक आई आर्थिक विपदा से राहत देना है। याचीगण ने आश्रित कोटे में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति की मांग की थी। कोर्ट ने इस मांग व शासनादेश को अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 की धारा 3 व मृतक आश्रित सेवा नियमावली 1999 के नियम 5के विरुद्ध करार दिया।

    कोर्ट के समक्ष विचारणीय मुद्दा यह था कि क्या याचिकाकर्ता को शासनादेशों के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति के अंतर्गत शिक्षक के रूप में नियुक्त करने के लिए परमादेश की मांग संविधान सम्मत है? साथ ही यह कि क्या शासनादेश भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 16 तथा अनुच्छेद 21 ए के तहत बच्चों को दिए गए शिक्षा के मौलिक अधिकार और बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 द्वारा प्रदत्त अधिकारों के अनुरूप है?

    कोर्ट ने कहा, ‘वास्तव में योग्यता निर्धारित करने की प्रक्रिया का प्रारंभिक बिंदु योग्यता है। भर्ती की संवैधानिक प्रक्रिया शिक्षकों के रूप में नियुक्ति के लिए सभी योग्य उम्मीदवारों में सबसे अधिक योग्य का चयन करने के लिए सबसे विश्वसनीय तरीका है।’

    यदि संविधान के अनुच्छेद 21 ए के तहत बच्चों के मौलिक अधिकार को साकार करना है तो दोषपूर्ण नियुक्ति प्रक्रियाओं के कारण शिक्षकों की गुणवत्ता में गिरावट बर्दाश्त नहीं की जा सकती। जो पद डाइंग इन हार्नेस रूल्स, 1999 के नियम 5 के अंतर्गत अनुकंपा नियुक्ति के लिए मान्य नहीं हैं, उन्हें संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के अंतर्गत सार्वजनिक भर्ती प्रक्रियाओं द्वारा ही भरा जा सकता है। कोर्ट ने आदेश की प्रति प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को अनुपालन के लिए भेजने का आदेश दिया है।

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