उदासीन संप्रदाय के अखाड़ों ने बनाया उदासीन निर्मल परिषद, एक साथ रहने का निर्णय
प्रयागराज में उदासीन संप्रदाय के तीन अखाड़ों - श्रीपंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण श्रीपंचायती नया उदासीन अखाड़ा और श्रीपंचायती अखाड़ा निर्मल - ने मिलकर उदासीन निर्मल परिषद का गठन किया है। इस परिषद का उद्देश्य तीनों अखाड़ों को एकजुट रखना और आपसी विवादों का समाधान करना है। जुलाई में होने वाली बैठक में अखाड़ा परिषद में शामिल होने पर विचार किया जाएगा।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। अखाड़ों की अंदरूनी तकरार के बीच उदासीन सम्प्रदाय के अखाड़ों ने एक साथ रहने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उदासीन संप्रदाय के श्रीपंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण, श्रीपंचायती नया उदासीन अखाड़ा व श्रीपंचायती अखाड़ा निर्मल ने मिलकर उदासीन निर्मल परिषद का गठन कर लिया है।
नया उदासीन अखाड़ा के सचिव जगतार मुनि परिषद के अध्यक्ष बनाए गए हैं। बड़ा उदासीन के मुखिया महंत दुर्गा दास सचिव और निर्मल अखाड़ा के सचिव देवेंद्र सिंह शास्त्री को कोषाध्यक्ष बनाया गया है।
उक्त परिषद की जुलाई में प्रयागराज में बैठक होगी। इसमें तीनों अखाड़े के प्रतिनिधि शामिल होंगे। सामूहिक राय पर परिषद के विस्तार पर चर्चा की जाएगी। साथ ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में जाना है अथवा नहीं? उस पर निर्णय लिया जाएगा।
सनातन धर्म में 13 अखाड़ों को मान्यता है। इसमें सात संन्यासी, तीन उदासीन और तीन वैष्णव सम्प्रदाय के अखाड़े हैं। सबको संगठित करने के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का गठन किया गया है।
अखाड़ा परिषद में 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि शामिल किए जाते हैं। यह संतों का सबसे बड़ा संगठन है। अखाड़ा परिषद की कुंभ, महाकुंभ व अर्द्धकुंभ में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शासन-प्रशासन अखाड़ा परिषद की मंशा के अनुरूप अखाड़ों के लिए प्रबंध कराता है।
बीते महाकुंभ के दौरान वैष्णव सम्प्रदाय के अखाड़ों ने अखिल भारतीय वैष्णव परिषद का गठन कर लिया। इसके अध्यक्ष निर्मोही अनी अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास बनाए गए।
इधर, उदासीन सम्प्रदाय के तीनों अखाड़ों ने अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए उदासीन निर्मल परिषद का गठन कर लिया। यह तय किया गया है कि तीनों अखाड़े हर जगह एक साथ रहेंगे। आपसी विवाद का निस्तारण मिल बैठकर करेंगे। इसमें बाहरी का हस्तक्षेप नहीं होगा।
अखाड़ा परिषद में पड़ेगा असर उदासीन निर्मल परिषद बनने का असर अखाड़ा परिषद में पड़ना तय है। तीनों अखाड़े जिसके साथ जाएंगे उसका पड़ला भारी हो जाएगा। आगे वर्ष 2027 में हरिद्वार में अर्द्धकुंभ व नासिक में कुंभ मेला होगा।
इसके बाद 2028 में उज्जैन का सिंहस्थ कुंभ मेला होगा। अखाड़े उसकी तैयारी में जुट गए हैं। अखाड़ा परिषद भी सक्रियता बढ़ा रहा है। इसमें बहुमत जिसके साथ होगा उसी को महत्व मिलेगा।
अखाड़ा परिषद की वर्तमान स्थिति
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि ने 20 सितंबर 2021 को आत्महत्या कर लिया। इसके बाद अखाड़ा परिषद दो गुट में बंट गया। एक गुट के अध्यक्ष श्रीमहानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी हैं।
वहीं, दूसरे गुट के अध्यक्ष श्री निरंजनी अखाड़ा के सचिव व मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी हैं। महानिर्वाणी गुट के साथ अटल, निर्मल, निर्मोही अनी, निर्वाणी अनी, दिगंबर अनी अखाड़े हैं। श्री निरंजनी गुट के रवींद्र पुरी के साथ जूना, अग्नि, आह्वान, आनंद, नया उदासीन, बड़ा उदासीन अखाड़े हैं।
उदासीन निर्मल परिषद का गठन डेरों के आपसी विवाद का निस्तारण कराने और अपनी शक्ति बढ़ाने को किया गया है। उदासीन सम्प्रदाय के संत उपेक्षित न रहें उसके लिए हम एकजुट रहेंगे। अखाड़ा परिषद के किस गुट में शामिल होना है? वह अभी तय नहीं किया गया है। जुलाई माह में तीनों अखाड़े के प्रतिनिधि बैठकर इस पर निर्णय लेंगे। इतना तय है कि चाहे जिस गुट से जुड़ें उसमें तीनों अखाड़े साथ रहेंगे।
-जगतार मुनि, अध्यक्ष उदासीन निर्मल परिषद
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