Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बगैर ठोस सबूत व तथ्य दहेज केस में हत्या का आरोप न लगाएं: हाई कोर्ट

    Updated: Sat, 29 Jun 2024 02:33 PM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि यदि पैसे नहीं दिए गए हैं तो भारतीय दंड संहिता की धारा 387 में भयभीत कर जबरन वसूली (उद्दापन) का अपराध नहीं बनता। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने पान मसाला व्यवसायी संजय गुप्ता उर्फ संजय मोहन के खिलाफ जालौन उरई की अपर सत्र अदालत में चल रही आपराधिक केस कार्रवाई रद कर दी है।

    Hero Image
    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दहेज हत्या और दहेज को लेकर बड़ी बात कही है। फाइल फोटो

     विधि संवाददाता, जागरण, प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के दहेज हत्या और दहेज को लेकर अमानवीय व्यवहार से जुड़े मामलों में बिना किसी ठोस सबूत व तथ्य हत्या का आरोप नियमित और यांत्रिक रूप से जोड़ने पर नाराजगी जताई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कोर्ट ने कहा है कि पुलिस तथ्यों का सही आकलन कर ही दहेज हत्या अथवा हत्या करने या खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप सावधानी पूर्वक लगाए। कोर्ट ने सभी अदालतों को सुप्रीम कोर्ट के जसविंदर सैनी केस में तय गाइडलाइंस का पालन करने का निर्देश दिया है।

    आदेश की प्रति जिला जजों तथा डीजीपी को भेजने का निर्देश भी कोर्ट ने दिया है। न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी तथा न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने राममिलन बुनकर थाना नरहट, ललितपुर और कई अन्य की दाखिल अपीलों पर उठे कानूनी मुद्दे तय करते हुए यह आदेश दिया है।

    इसे भी पढ़ें-अब विशेष द्वार से बाबा दरबार पहुंचेंगे काशीवासी, सावन से पहले मिलेगी सुविधा

    कोर्ट ने कहा कि दहेज मामलों में हत्या का आरोप (आईपीसी की धारा 302) यांत्रिक रूप से जोड़ने से स्थिति ‘अधिक गंभीर’ हो रही है जबकि जांच के दौरान एकत्र साक्ष्य की प्रकृति के आधार पर आरोप तय किए जाते हैं न कि केवल हवा में या मनमाने तरीके से।

    खंडपीठ ने कहा कि हमारी निचली अदालतें गलत धारणा के तहत बिना किसी ठोस सामग्री वैकल्पिक आरोप के रूप में आईपीसी की धारा 302 को जोड़ती रहती हैं। इससे आरोपित अपीलकर्ता के लिए प्रतिकूल परिणाम आएंगे।

    इसे भी पढ़ें-एसएससी में एमटीएस-हवलदार के 8326 पदों पर होगी भर्ती, आवेदन शुरू, जानिए कब है अंतिम तिथ‍ि

    कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अदालतों के लिए उचित तरीका यह है कि वे जांच के दौरान एकत्र साक्ष्य चाहे प्रत्यक्ष हो या परिस्थितिजन्य प्रथम दृष्टया धारा 302 आईपीसी के तहत आरोप जोड़ने का समर्थन करते हैं या उसे उचित ठहराते हैं, उसके बाद ही हत्या का आरोप तय करें। ऐसी स्थिति में धारा 302 आईपीसी के तहत आरोप मुख्य आरोप होगा न कि वैकल्पिक आरोप।

    जबरन वसूली केस चलाने के लिए पैसे दिया जाना जरूरी

    कोर्ट ने कहा, पैसे नहीं दिए गए इसलिए याची पर जबरन वसूली का केस नहीं बनता। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने संजय गुप्ता की धारा 482 के तहत याचिका मंजूर करते हुए दिया है।

    comedy show banner
    comedy show banner