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    90 हजार के घोटाले को साबित करने में अफसरों को दो वर्ष लग गए, ग्राम प्रधान को क्लीन चिट देने में सिर्फ डेढ़ माह लगे

    By Jagran News Edited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Thu, 04 Dec 2025 12:38 PM (IST)

    प्रयागराज के कोरांव में एक ग्राम पंचायत में 90 हजार रुपये के घोटाले को साबित करने में अधिकारियों को दो साल लग गए, लेकिन ग्राम प्रधान को क्लीन चिट देने ...और पढ़ें

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    प्रयागराज के काेरांव में 90 हजार रुपये के घोटाले की जांच में लगे वर्ष, प्रधान को क्लीन चिट सिर्फ 1.5 महीने में! मिल गई। 

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। कौन कहता है कि सरकारी सिस्टम की रफ्तार धीमी होती है, शर्त सिर्फ इतनी है कि मर्जी अधिकारियों की हो। कोरांव की ग्राम पंचायत में 90 हजार रुपये के घोटाले को सिद्ध करने में अफसरों को दो वर्ष लग गए, लेकिन ग्राम प्रधान को क्लीन चिट देने में सिर्फ डेढ़ महीने लगे।

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    गांव के अनूप ने धांधली की दर्ज कराई थी शिकायत 

    दरअसल, कोरांव ब्लाक की ग्राम पंचायत बढ़वारी कला के रहने वाले अनूप कुमार मिश्रा ने 11 जुलाई 2023 को डीएम से शिकायत दर्ज कराई थी। गांव में हैंडपंपों की मरम्मत समेत अन्य कार्यों में धांधली का आरोप लगाया था। 15 जुलाई 2023 को डीएम ने जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद शिकायतकर्ता डीएम-कमिश्नर के चक्कर लगाता रहा, लेकिन जांच दबी रही।

    डीएम ने प्रधान के वित्तीय अधिकार छीन लिए थे 

    बीते 18 जुलाई को जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट दी। इसमें 90 हजार का घोटाला सामने आया। ग्राम प्रधान को नोटिस जारी की गई। फिर अफसरों ने प्रधान के जवाब के इंतजार में दो महीने बिता दिए। जवाब नहीं मिलने पर 17 अक्टूबर को डीएम मनीष कुमार सिंह ने ग्राम प्रधान के वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार छीन लिए थे। ग्राम पंचायत के खाते के संचालन पर रोक लगा दी थी।

    महज डेढ़ माह में पूरी हो गई जांच

    डीएम ने उपायुक्त मनरेगा गुलाब चंद को अंतिम जांच के निर्देश दिए थे। वैसे तो इस प्रकरण में घोटाले को सिद्ध करने में अफसरों ने दो वर्ष लगा दिए। हालांकि अंतिम जांच महज डेढ़ माह में पूरी हो गई। इस जांच में कोई अनियमितता नहीं पाई गई। नतीजा यह रहा कि डीएम ने प्रधान को क्लीन चिट दे दी।

    क्या कहते हैं मनरेगा के उपायक्त 

    मनरेगा के उपायुक्त गुलाब चंद्र का कहना है कि मामले की अंतिम जांच में कोई अनियमितता नहीं मिली है। जिस धनराशि के गबन की बात सामने आई थी, वह पहले ही सरकारी खाते में जमा हो गई थी।