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    Mahakumbh 2025: अमृत पान को उमड़ी आस्था, एक द‍िन में 77 लाख श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

    Updated: Fri, 07 Feb 2025 07:40 AM (IST)

    अमृत स्नान पर्व न मुख्य नहान फिर भी गुरुवार को अमृत पान के लिए संगम की पावन धरा पर आस्था उमड़ पड़ी। गुरुवार को लगभग 77.20 लाख श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी ...और पढ़ें

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    महाकुंभ मेले में गंगा स्नान के लिए उमड़ी भीड़।- भैरव जायसवाल

    जागरण संवाददाता, महाकुंभ नगर। अमृत स्नान पर्व न मुख्य नहान, फिर भी गुरुवार को अमृत पान के लिए संगम की पावन धरा पर आस्था उमड़ पड़ी। भोर में ही संगम समेत प्रमुख स्नान घाट पैक हो गए थे। पुलिस और पीएसी के साथ अर्द्धसैनिक बलों के जवानों का यही लक्ष्य था कि स्नान के बाद तत्काल श्रद्धालु घाट छोड़ दें। इसके लिए लगातार अनाउंसमेंट भी हो रहा था। गुरुवार को लगभग 77.20 लाख श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में डुबकी लगाई। इस तरह से अब तक 39 करोड़ 74 लाख कुल स्नानार्थियों की संख्या पहुंच गई।

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    गुरुवार भोर में तीन बजे से शुरू हुए स्नान से सुबह छह बजे तक 26 लाख करीब श्रद्धालु डुबकी लगा चुके थे। सुबह आठ बजे तक यह संख्या लगभग 39 लाख पहुंच गई। सुबह 10 बजे तक 48.70 लाख तो दोपहर 12 बजे तक 57.10 लाख श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। शाम चार बजे तक यह संख्या 68.47 लाख और रात नौ बजे 77.20 लाख तक पहुंच चुकी थी। माघ महीने की नवमी पर भोर से ही संगम आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा था।

    संगम के साथ झूंसी के एरावत घाट पर भी श्रद्धालुओं ने क‍िया स्नान

    शहर के साथ ही अरैल, झूंसी और फाफामऊ की ओर से महाकुंभ आने वाले मार्गों पर भारी भीड़ थी। संगम तट के साथ ही झूंसी के एरावत स्नान घाट पर सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं ने स्नान किया।

    पर्यटकों की भी पहुंच रही भीड़

    महाकुंभ के तीनों स्नान पर्व मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या व वसंत पंचमी के बाद गुरुवार को उमड़ी भीड़ को लेकर अनुमान लगाया गया कि अब स्थानीय के साथ आसपास के जिलों के श्रद्धालु आने लगे हैं। साथ ही पर्यटकों की भी अच्छी-खासी भीड़ पहुंचने लगी है।

    कई देशों के बौद्ध भिक्षुओं ने लगाई संगम में डुबकी

    दुनिया के कई देशों के भंते, लामा व बौद्ध भिक्षुओं ने गुरुवार को संगम में आस्था की डुबकी लगाई। सभी को सनातन की एकता का संदेश दिया। बुद्ध शरणं गच्छामि, धम्मं शरणम् गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि का उदघोष किया। इस दौरान करीब 500 से अधिक बौद्ध भिक्षु त्रिवेणी तट पर मौजूद रहे। भगवान बुद्ध की करुणा हो, सम्राट अशोक अमर रहें का भी उद्घोष हुआ। संगम में डुबकी के बाद बौद्ध भिक्षु सनातन के प्रति गर्व की अनुभूति करते नजर आए।

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