Maha Kumbh में गुरु दीक्षा लेकर आत्मिक शांति की राह चले 63 विदेशी, USA साइंटिस्ट बोले- जीवन को नई दिशा मिली
जगतगुरु साईं मां लक्ष्मी देवी के सान्निध्य में 63 विदेशी श्रद्धालुओं ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सनातन धर्म की दीक्षा ली। उनके चेहरे पर प्रसन्नता आंखो ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, महाकुंभनगर। सनातन धर्म केवल परंपराओं का बंधन नहीं, बल्कि आत्मिक शांति की वह राह है, जिसे दुनिया के कोने-कोने से लोग अपनाने चले आ रहे हैं। जीवन की शांति और मानसिक स्थिरता की तलाश में भटक रहे कई विदेशी भक्तों ने महाकुंभ में सनातन धर्म की गहराइयों को आत्मसात किया और गुरु दीक्षा ग्रहण कर अपने जीवन की नई दिशा तय कर ली।
यह अद्भुत दृश्य सेक्टर 17 स्थित शक्ति धाम में देखने को मिला, जब जगतगुरु साईं मां लक्ष्मी देवी के सान्निध्य में 63 विदेशी श्रद्धालुओं ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सनातन धर्म की दीक्षा ली। उनके चेहरे पर प्रसन्नता, आंखों में चमक और मन में एक अद्भुत शांति का अनुभव स्पष्ट झलक रहा था। दीक्षा के दौरान वे हाथों में फूल और फल की टोकरी लिए हुए थे, गले में तुलसी की माला थी और उनके मन में नए जीवन का संकल्प था।
विदेशी श्रद्धालुओं ने दीक्षा ली
विदेशी श्रद्धालुओं के लिए यह दीक्षा सिर्फ एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रूपांतरण था। उनमें से कई लोग मानसिक अस्थिरता, अवसाद और जीवन में स्पष्टता की कमी से जूझ रहे थे। यूएसए के डेटा साइंटिस्ट माइकल कैनेडी बताते हैं कि पहले उनके जीवन में दिशाहीनता थी। वह अपने करियर और व्यक्तिगत जीवन को लेकर भ्रमित थे।

दीक्षा लेने के बाद वह मानसिक स्पष्टता और आंतरिक शांति का अनुभव कर रहे हैं। रूस की फोटोग्राफर नताशा कर्टेस कहती हैं कि "शांति के लिए वह वर्षों तक अलग-अलग देशों में घूमीं, लेकिन मन की शांति उन्हें कहीं नहीं मिली। सनातन को जाना तो यह समझा कि शांति बाहरी चीजों में नहीं, बल्कि आत्मा के भीतर है।
शांति का अनुभव हुआ- विदेशी श्रद्धालु
यूएसए की छात्रा मेगन ने इसे अपने जीवन का सबसे अविश्वसनीय अनुभव बताया। वह कहती हैं, "गुरु दीक्षा लेने के बाद मैंने अपनी आत्मा के मार्ग को पूरी तरह से स्वीकार किया है। यह मेरे लिए सिर्फ एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक नई यात्रा की शुरुआत है।"
इसके अलावा यूएसए में संपत्ति प्रबंधन का कार्य करने वाली सुसान मुचनिज, आस्ट्रेलिया के हीलिंग चिकित्सक डीन हिंडर-हाकिंस, कनाडा के मार्केटिंग मैनेजर नतालिया इजोटोवा, इंडोनेशिया के मनोचिकित्सक जस्टिन वाटसन और बेल्जियम के प्रशासक इंगे तिजगत भी शामिल रहे।

साईं मां लक्ष्मी देवी ने कहा कि सनातन धर्म शांति और प्रेम की राह दिखाता है। इसकी सरलता और सहजता ही इसकी सबसे बड़ी शक्ति है, जो पूरे विश्व से लोगों को आकर्षित कर रही है। आज 63 विदेशी श्रद्धालुओं ने मुझसे गुरु दीक्षा ली है, और यह प्रमाण है कि सनातन धर्म की शिक्षाएं संपूर्ण मानवता के लिए मार्गदर्शक बन रही हैं।
विदेशी श्रद्धालुओं ने साधुओं को कराया भोजन
शिविर में विदेशी श्रद्धालुओं ने भारतीय साधु-संन्यासियों को प्रेमपूर्वक भोजन कराया। शक्तिधाम आश्रम में हुए इस विशेष आयोजन में पंक्ति में बैठे संन्यासियों को विदेशी श्रद्धालुओं ने अपने हाथों से महाप्रसाद परोसा। यह दृश्य न केवल श्रद्धा और सेवा की भावना को प्रकट कर रहा था, बल्कि भारतीय संस्कृति की वैश्विक स्वीकृति को भी दर्शा रहा था। इस आयोजन ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। अलग-अलग देशों से आए श्रद्धालु साधु-संतों को श्रद्धा भाव से भोजन परोसते दिखे।

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