Maha Kumbh 2025 की चार फर्जी वेबसाइट से 45 तीर्थ यात्रियों को ऑनलाइन ठगा, VIP दर्शन के नाम पर फंस गए लोग
Maha Kumbh Mela 2025 उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां Maha Kumbh 2025 के नाम पर चार फर्जी वेबसाइट बनाकर करीब 45 तीर्थयात्रियों को ठगा गया। लग्जरी काटेज बुकिंग और वीआईपी दर्शन के नाम पर करीब 25 लाख रुपये एडवांस वसूले गए। पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है लेकिन गिरोह में शामिल अन्य ठगों की तलाश जारी है।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। विश्व प्रसिद्ध महाकुंभ की चार फर्जी वेबसाइट बनाकर करीब 45 लोगों को ठगा गया था। देश के अलग-अलग हिस्से में रहने वाले तीर्थ यात्रियों को लग्जरी काटेज की बुकिंग और वीआइपी दर्शन का झांसा देकर लगभग 25 लाख रुपये एडवांस वसूले गए थे।
पुलिस से 45 लोगों ने शिकायत की है, जबकि आनलाइन ठगी का शिकार हुए लोगों की संख्या में बढ़ोतरी होने की बात कही जा रही है। साइबर अपराधियों के नेटवर्क की तफ्तीश में जुटी साइबर पुलिस को यह भी पता चला है कि गिरफ्त में आए अभियुक्तों ने बंगाल के मालदा निवासी एक किशोर के बैंक खाते में सबसे ज्यादा रकम डलवाई थी। अब उस किशोर समेत गैंग में शामिल अन्य ठगों की भी तलाश तेज की गई है।
पुलिस का कहना है कि महाकुंभ के नाम पर कुछ साइबर अपराधियों ने अलग-अलग तरीके से आनलाइन ठगी शुरू कर दी। इसी बीच तकनीक के जानकार कुछ युवकों ने फर्जी वेबसाइट बनाकर भी धोखाधड़ी शुरू की थी। इसका पता चला ने पर मेलाधिकारियों ने साइबर पुलिस से शिकायत की थी। तब इंस्पेक्टर आलमगीर की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया था।
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विवेचना में जुटी पुलिस को पता चला कि नालंदा बिहार निवासी पंकज कुमार गिरोह का मास्टरमाइंड है, जो वाराणसी में रहने वाले अपने साथी यश चौबे, अंकित कुमार गुप्ता, अमन कुमार के साथ मिलकर तीर्थ यात्रियों को ठग रहा है। तब साइबर थाना प्रभारी राजीव तिवारी ने अतुल त्रिवेदी, प्रदीप कुमार यादव, रूप सिंह, लोकेश पटेल, रणवीर सेंगर और अनुराग यादव के साथ घेरेबंदी करके सरगना समेत चार आरोपितों को दबोच लिया। पूछताछ में पता चला है कि शिक्षक पद से बर्खास्त होने के बाद पंकज ने आनलाइन ठगी पर काम किया और फिर गिरोह में अन्य युवकों को शामिल किया।
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तीर्थ यात्रियों को देते थे लोकलुभावन ऑफर
साइबर थाना प्रभारी राजीव तिवारी का कहना है कि महाकुंभ की असली वेबसाइट से मिलती-जुलती फर्जी वेबसाइट बनाई गई थी। इन वेबसाइट को ओपन करते ही विजुअल देखकर लोग आकर्षित हो जाते थे। वेबसाइट पर लग्जरी काटेज का वास्तविक मूल्य बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता था, लेकिन उस पर करीब 20 से 25 प्रतिशत की छूट का भी झांसा दिया जाता था। इसके अलावा भीड़ से बचाकर वोट के जरिए संगम स्नान कराने और वीआइपी दर्शन कराने का भी लोकलुभावन आफर दिया जाता था।
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गिरोह में राजस्थान और बंगाल के युवक शामिल
पुलिस का कहना है कि साइबर अपराधियों को डिजिटल उपकरणों की शुरुआती छानबीन से पता चला है कि गैंग में राजस्थान, बंगाल और झारखंड के भी कुछ युवक शामिल हैं। गिरोह में आइआइटी और तकनीक के जानकार युवाओं को बड़ा मुनाफा दिखाकर नौकरी का प्रस्ताव दिया जाता था।
इसके बाद उनकी जानकारी का दुरुपयोग करते हुए पैसा कमाया जाता था। यह भी कहा गया है कि साइबर ठग देश में चल रहे ऐसे कार्यक्रम जहां भीड़ जुटने वाली है, उसके नाम पर ठगने की तत्काल योजना बना लेते थे।

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