प्रयागराज में सीमांचल एक्सप्रेस से 30 बच्चे Rescued, बिहार से बालश्रम के लिए भेजे जा रहे थे, पांच दिन में दूसरी घटना से खलबली
प्रयागराज जंक्शन पर सीमांचल एक्सप्रेस में जीआरपी आरपीएफ और एएचटीयू ने छापेमारी कर 24 नाबालिग समेत 30 बच्चों को बचाया। ये बच्चे बिना अभिभावक के थे। दो सितंबर को भी इसी ट्रेन से 10 नाबालिग बच्चों को रेस्क्यू किया गया था। बच्चों से पूछताछ जारी है और उनके परिजनों को बुलाया गया है। मानव तस्करी रोकने के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। प्रयागराज जंक्शन पर दो सितंबर को रेस्क्यू हुए बच्चे अभी घर भी नहीं जा पाए थे कि बिहार से दुस्साहसी ठेकेदारों ने बालश्रम के लिए बच्चों की तस्करी फिर शुरू कर दी। शुक्रवार को फिर से जोगबनी से आनंद विहार टर्मिनल जा रही सीमांचल एक्सप्रेस (12487) में मानव तस्करी की सूचना पर आरपीएफ और जीआरपी ने रेस्क्यू कर 30 बच्चों को ट्रेन से उतारा।
इनमें 18 नाबालिगों को चाइल्ड लाइन ने सीडब्ल्यूसी कोर्ट में पेश किया जहां से उन्हें बालगृह भेज दिया गया।छताछ में पता चला कि इन्हें लुधियाना में किसी मदरसे में ले जाया जा रहा था, लेकिन कोई पता नहीं बता सका। वहीं, बाकी 12 बच्चों के परिजन साथ में थे, कागजातों की जांच के बाद उन्हें परिजनों को सौंप दिया गया।
चार दिनों में दूसरी घटना बालश्रम और मानव तस्करी के खिलाफ सख्ती के दावों पर गंभीर सवाल उठाती है।
संवाद सामाजिक संस्था के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर शिवांशु मिश्रा ने बताया कि उनकी टीम को बिहार से बच्चों को लुधियाना ले जाने की खबर मिली थी।
सूचना पर तत्काल कंट्रोल रूम को अलर्ट किया गया। जैसे ही सीमांचल एक्सप्रेस प्लेटफार्म नंबर तीन पर रुकी, आरपीएफ, जीआरपी, सीआईबी और चाइल्ड लाइन की संयुक्त टीमों ने जनरल बोगी से बच्चों को उतारा। काउंसिलिंग में ज्यादातर बच्चे दावा करते रहे कि वे मदरसा पढ़ने जा रहे हैं, जबकि कुछ के परिजन लुधियाना में नौकरी करते हैं। लेकिन 18 नाबालिग बिना परिजनों के थे, जिन्हें सीडब्ल्यूसी कोर्ट में पेश कर बालगृह भेजा गया। इनमें नेपाल के तीन बच्चे और एक अनाथ बच्ची भी शामिल थी, जो अपनी बुआ और मामा के साथ थी।
इस अभियान में आरपीएफ पोस्ट प्रभारी इंस्पेक्टर अमित मीना, सीआईबी इंस्पेक्टर शिवकुमार सिंह, जीआरपी थाना प्रभारी अकलेश कुमार सिंह और संवाद सामाजिक संस्था के स्वयंसेवकों ने मिलकर ट्रेन के हर कोच की गहन तलाशी ली। एसपी जीआरपी प्रशांत वर्मा ने बताया कि सीडब्ल्यूसी के आदेश पर आगे की विधिक कार्रवाई की जा रही है।
प्रयागराज ही क्यों हो रहा रेस्क्यू
बिहार से आने वाली ट्रेनें पं. दीन दयाल उपाध्याय और मीरजापुर में भी रुकती हैं, लेकिन रेस्क्यू केवल प्रयागराज में ही क्यों हो रहा है? क्या अन्य स्टेशनों पर आरपीएफ-जीआरपी की टीमें निष्क्रिय हैं या बच्चों की तस्करी को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा? अधिकारियों का कहना है कि प्रयागराज में पर्याप्त फोर्स है। यहां पहुंचते-पहुंचते सूचना की क्रास-चेकिंग हो जाती है और टीमें एक्टिव हो जाती हैं। हालांकि यह तर्क गले नहीं उतरता है।
बार-बार चौंकाने वाली घटनाएं
प्रयागराज में बार-बार रेस्क्यू की घटनाएं चौंकाती हैं। दो सितंबर को 10, पांच सितंबर को 18, नौ मई 2024 को सीमांचल एक्सप्रेस से 93, जून 2021 में नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस से 33 और जुलाई 2022 में महानंदा एक्सप्रेस से 38 बच्चों को रेस्क्यू किया गया। छह मई 2024 को सरायइनायत के पास एक डीसीएम में 31 बच्चे पकड़े गए। चार मौलानाओं को तस्करी के आरोप में जेल भेजा गया, फिर भी न नेटवर्क टूट रहा न तस्करों का दुस्साहस।
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