अयोध्या के धर्म ध्वजारोहण समारोह में संगम नगरी के 107 रामभक्त आमंत्रित, काशी प्रांत से रवाना हुए 564 लोग
अयोध्या में श्रीराम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजारोहण कार्यक्रम में प्रयागराज के 107 रामभक्तों को आमंत्रित किया गया है। कोल, भील, बंजारे जैसे समुदायों के नेता शामिल हैं, जिसे समरसता की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। काशी प्रांत से 564 रामभक्त रवाना हुए हैं, साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश से लगभग 8000 लोग भी शामिल होंगे। स्वामी वासुदेवानंद भी आयोजन में भाग लेंगे।

अयोध्या में आयोजित धर्म ध्वजारोहण में शामिल होने के लिए प्रयागराज से रवाना होते आमंत्रित रामभक्त। सौजन्य : संगठन
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। अयोध्या में श्रीराम मंदिर के शिखर पर होने वाले धर्म ध्वजारोहण कार्यक्रम में संगम नगरी के 107 लोगों को आमंत्रित किया गया है। वे सभी अपने अपने समुदाय का नेतृत्व करने वाले हैं। आयोजन के लिए कोल, भील, बंजारे, सपेरे जैसे समुदाय के लोगों को प्रमुखता मिली है। यह कदम समरसता की दृष्टि से खास माना जा रहा है।
मेजा व विहिप काशी प्रांत कार्यालय से भक्त रवाना
प्रयागराज में बद्रीनाथ तिवारी इंटर कालेज मेजा से एक बस और विहिप के काशी प्रांत कार्यालय से एक बस राम भक्तों को लेकर सोमवार दोपहर रवाना हुई। प्रत्येक बस में एक बस प्रमुख भी बनाए गए हैं। वे श्रद्धालुओं की मदद और नेतृत्व करेंगे।
स्वामी वासुुदेवानंद भी आयोजन में प्रतिभाग करेंगे
आयोजन के काशी प्रांत प्रमुख अलोक मालवीय ने बताया कि काशी प्रांत से कुल 564 रामभक्त रवाना हुए हैं। इन्हें 18 बस और 15 छोटी गाड़ियों से ले जाया गया है। इसके अतिरिक्त पूर्वी उत्तर प्रदेश के 49 प्रशासनिक जिलों से कुल आठ हजार लोग समारोह का हिस्सा बनेंगे। इनमें 600 वनवासी समाज के संत भी शामिल हैं। संगम नगरी के स्वामी वासुुदेवानंद भी इस आयोजन में प्रतिभाग करेंगे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से किया गया आमंत्रित
निषाद, योगी समाज, थारू समाज, वनटानिया समाज, बंजारा समाज, मुसहर, नट, गद्दी समाज, किन्नर, वाल्मीकि, खटिक, पासी, कोल, धोबी, लोहार, धरकार, कुम्हार, बारी, नाई, बहेलिया, रविदास और महावत समाज के ऐसे लोग जो अपने समुदाय का नेतृत्व करने वाले हैं, उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से आमंत्रित किया गया। सभी को आवश्यकता के अनुसार संसाधन भी दिए गए हैं। ये ध्वजारोहण समारोह के बाद शाम को बस से अपने अपने जिलों में लौटेंगे। उन्हें संगठन की ओर से घर तक सकुशल पहुंचाने का दायित्व स्वयंसेवकों को दिया गया है।

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