Pratapgarh News : बारकोड वाले जन्म प्रमाणपत्र बनवाने को आवेदक परेशान, तहसीलों में कर्मचारी बरत रहे उदासीनता
बारकोड के बिना जन्म प्रमाणपत्र मान्य नहीं होगा। प्रतापगढ़ में तहसीलों में लापरवाही के कारण बारकोड जारी करने में देरी हो रही है जिससे आवेदकों को परेशानी हो रही है। सुविधा शुल्क की भी मांग की जा रही है। डीएम ने सख्ती दिखाई है और एसडीएम को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

संसू, जागरण, प्रतापगढ़। अगर जन्म प्रमाणपत्र में बारकोड यानी क्यूआर कोड नहीं है तो यह प्रमाण पत्र सरकारी प्रक्रियाओं के लिए मान्य नहीं है। बारकोड वाला प्रमाणपत्र अब अनिवार्य कर दिया गया है। इसके बिना जन्म प्रमाणपत्र अधूरा माना जाता है। तहसीलों में कर्मियों की लापरवाही से बारकोड जारी करने में देरी की जा रही है। नतीजा यह रहा कि इससे सैकड़ों आवेदन लंबित पड़े हैं। इससे आवेदकों को दिक्कतें हो रही हैं।
15 दिन से ज्यादा बारकोड के लिए चक्कर काटने पड़ रहे हैं। जन्म प्रमाणपत्र प्रमुख दस्तावेज में शामिल है। इसकी समय-समय पर आवश्यकता पड़ती है। बच्चा पैदा होने के 20 दिन तक जन्म प्रमाणपत्र के लिए नगर पालिका परिषद बेल्हा में आवेदन करना पड़ता है। 21 दिन से एक साल तक सीएमओ के यहां और एक साल के बाद का संबंधित तहसीलों के एसडीएम कार्यालय में आवेदन करना पड़ता है।
इन दिनों जन्म प्रमाण पत्र के लिए मारा-मारी मची है। खासकर नगर पालिका परिषद बेल्हा एक माह में 600 से अधिक आवेदन हो रहे हैं। सदर तहसील से बारकाेड जारी होने में कई-कई दिन लग जा रहे हैं। उदाहरण के लिए शहर के नीरज कुमार, भागीरथी, रजनीश, अंकुर आदि ऐसे आवेदक हैं, जिनके द्वारा माह भर पहले आवेदन किया गया, लेकिन अभी तक जन्म प्रमाणपत्र जारी नहीं हुआ। इससे आवेदक बारकोड के लिए तहसील का चक्कर लगा रहे हैं।
नियम है कि एक सप्ताह में बारकोड जारी कर दिया जाना चाहिए, लेकिन तहसील में तैनात प्राइवेट कर्मी मनमानी कर रहे हैं। बारकाेड के नाम पर सुविधा शुल्क की मांग की जा रही है। डीएम इसे लेकर सख्त हो गए हैं। सभी एसडीएम को सचेत भी किया है।
एसडीएम सदर नैनसी सिंह का कहना है कि सभी एसडीएम को निर्देशित किया गया है कि यदि किसी भी तहसील में जन्म प्रमाण पत्र जारी करने में बिना वजह विलंब होगा तो संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

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