सुलतानपुर-प्रयागराज रेलखंड दोहरीकरण की पैमाइश पूरी, एक साथ दो ट्रेनों का हो सकेगा आवागमन, सुगम होगी यात्रा
सुलतानपुर-प्रयागराज रेलखंड के दोहरीकरण के लिए पैमाइश पूरी हो चुकी है। इंजीनियरिंग विभाग की टीम ने रेल पथ निरीक्षकों के साथ नापजोख की प्रक्रिया पूरी कर ली है। जल्द ही अब इस सिंगल रेलपथ की तस्वीर बदलेगी। ट्रेनों की स्पीड भी बढ़ेगी। कई महत्वपूर्ण ट्रेनों का भी इसी रूट से आवागमन होगा। एक साथ दो ट्रेनों का आवागमन होगा। इससे यात्रियों को फायदा होगा।

संवाद सूत्र, प्रतापगढ़। सुलतानपुर-प्रयागराज रेलखंड के दोहरीकरण के लिए पैमाइश पूरी हो चुकी है। इंजीनियरिंग विभाग की टीम ने रेल पथ निरीक्षकों के साथ नापजोख की प्रक्रिया पूरी कर ली है। जल्द ही अब इस सिंगल रेलपथ की तस्वीर बदलेगी। ट्रेनों की स्पीड भी बढ़ेगी। कई महत्वपूर्ण ट्रेनों का भी इसी रूट से आवागमन होगा। एक साथ दो ट्रेनों का आवागमन होगा। इससे यात्रियों को फायदा होगा।
सुलतानपुर-प्रयागराज रेलखंड पर मां बेल्हा देवी धाम प्रतापगढ़ जंक्शन है। प्रतापगढ़ जंक्शन से होकर सुलतानपुर और प्रयागराज को कई ट्रेनें गुजरती हैं। इसमें मुख्य रूप से सरयू एक्सप्रेस, साकेत एक्सप्रेस, मनवर संगम एक्सप्रेस, तुलसी एक्सप्रेस, नौतनवा एक्सप्रेस, मेमू पैसेंजर आदि का संचालन होता है।
जंक्शन से राेजाना करीब 450 यात्री सुलतानपुर और प्रयागराज जाते हैं। सुलतानपुर-प्रयागराज रेलखंड पर सिंगल रेलवे ट्रैक होने से ट्रेनों की स्पीड कम है। लेटलतीफी भी होती है। इससे यात्रियों को दिक्कतें हो रही थीं। इसे देखते हुए रेल विभाग ने इस रेल खंड का दोहरीकरण करने जा रही है। सर्वे करने वाली टीम अपनी रिपोर्ट मंडल रेल प्रबंधक को सौंप चुकी है।
इसके लिए मंडल कार्यालय से रेलवे बोर्ड को प्रस्ताव भेजा गया है। सुलतानपुर-प्रयागराज रेल खंड की दूरी करीब 90 किमी है। अभी तक सुलतानपुर से सेवइत रेलवे स्टेशन तक सिंगल रेलवे ट्रैक है। इसका दोहरीकरण होने से सफर आसान हो जाएगा। एक साथ दो ट्रेनों का आवागमन होगा। समय की बचत भी होगी। डीआरएम लखनऊ डिवीजन सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि सुलतानपुर-प्रयागराज रेलखंड दोहरीकरण की कवायद चल रही है।
10 से 12 करोड़ आ रहा खर्च
रेल विभाग के अनुसार एक किमी के दोहरीकरण में करीब 10 से 12 करोड़ रुपये का खर्च आता है। अगर जमीन समतल नहीं है तो इसका खर्च बढ़ जाता है। इस तरह से सुलतानपुर-प्रयागराज रेल खंड के दोहरीकरण में करीब 1,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
नहीं आड़े आएगी जमीन
रेल ट्रैक के दोहरीकरण में जमीन आड़े नहीं आएगी। वजह यह है कि सिंगल रेलवे लाइन के बगल रेल विभाग की काफी मात्रा में जमीन खाली पड़ी है। इसी बहाने रेल की अतिक्रमण की गई जमीन भी खाली हो जाएगी। कई अवैध निर्माण को भी ध्वस्त कराया जाएगा।
इंजीनियर राम अचल मौर्य ने बताया कि ट्रेन सफल को सहज और सरल बनाने के लिए काम होना चाहिए। ट्रैक की सुरत बदलने से ट्रेनों का आवागमन बेहतर होगा, साथ ही यात्रियों की सुरक्षा पर भी सरकार को फोकस करना चाहिए।
रेलवे से सरकार को बड़ा राजस्व मिलता है। सरकार लगातार यात्रियों की सुविधाओं का विकास भी कर रही है। इस कड़ी में ट्रैक दोहरीकरण से यात्रियों को और सहूलियत होगी।- डॉ. एसी त्रिपाठी, सिविल लाइन

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