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    Pratapgarh News: एक ट्रिप से बदल गई दंपती की जिंदगी, मशरूम की खेती कर कमा रहे हैं नाम, दे रहे रोजगार भी

    By Edited By: Ashish Pandey
    Updated: Wed, 04 Jan 2023 05:10 PM (IST)

    साल भर पहले कंचन अपने पति के साथ उत्तराखंड गई। यहां उन्होंने मशरूम की खेती देखी तो उन्होंने यह खेती करने की ठान ली। दोनों घर लौट कर के आए तो मशरूम की खेती की योजना की तैयारी शुरू कर दी...

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    कंचन को भा गई मशरूम की खेती, अब बेल्हा में संवर रहा ‘आर्थिक भविष्य’। जागरण

    सत्यम मिश्र, प्रतापगढ़: Pratapgarh News- आंवले की खेती के लिए पूरे देश में मशहूर बेल्हा अब मशरूम की खेती में भी नाम कमा रहा है। जिले की गोबरी निवासी कंचन सिंह अपने पति रवि प्रताप सिंह के साथ उत्तराखंड घूमने गईं तो मशरूम की खेती देख दंपती का मन इसकी ओर खींच गया। वहां से मशरूम के बारे में कुछ जानकारी हासिल करने के बाद जब घर लौटे तो दोनों ने उद्यान विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया। मशरूम की खेती करने की कार्ययोजना बनाई। उसे धरातल पर उतारा। आज मशरूम की खेती से न सिर्फ दोनों का आर्थिक भविष्य संवर रहा है, बल्कि वह दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं। सदर ब्लाक के गोबरी की कंचन सिंह के पति रवि प्रताप सिंह आंवले के मुरब्बा कैंडी बनाने का प्लांट चलाते हैं।

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    साल भर पहले कंचन अपने पति के साथ उत्तराखंड गई। यहां उन्होंने मशरूम की खेती देखी तो उन्होंने यह खेती करने की ठान ली। दोनों घर लौट कर के आए तो मशरूम की खेती की योजना की तैयारी शुरू कर दी और फिर क्या था जानकारी हासिल करने के लिए दोनों ने उद्यान विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया। इसके बाद जानकारी हासिल की फिर प्लांट लगाने में जुट गए।

    मशरूम खेती के प्लांट के लिए 55 लाख का प्रोजेक्ट तैयार किया गया। धन की समस्या आई तो दोनों ने बैंक आफ बड़ौदा से ऋण लेने की योजना बनाई। इसके तहत 27 लाख का ऋण बैंक से स्वीकृत हुआ। फिर उद्यान विभाग से संपर्क करने पर 22 लाख का ऋण स्वीकृत हुआ, जिसमें 22 प्रतिशत छूट भी मिली। एसी प्लांट तैयार होने के बाद अब वह मशरूम की सप्लाई प्रतापगढ़, लखनऊ, बनारस, सुलतानपुर, अमेठी, रायबरेली, जौनपुर सहित कई जिलों में 100-150 रुपये प्रति किलो के हिसाब कर रहे हैं। इस एसी प्लांट में 54 लोगों को रोजगार मिला है। कंचन व रवि से मशरूम की खेती की जानकारी करने के लिए दूसरे जिले से भी लोग आते हैं।

    गोबरी की मशरूम कृषक कंचन सिंह बताती हैं कि साल भर पहले उत्तराखंड जाने पर देखा कि कैसे मशरूम की खेती उन्नति लाती है। उसके बाद यहां आकर प्लांट लगाने में लग गई। दूसरों को रोजगार देकर अच्छा लगता है। अब लोग इसकी खेती करने की जानकारी करने के लिए भी आते हैं तो गर्व महसूस होता है।

    30 दिन में तैयार होती है मशरूम

    मशरूम की खेती 30 दिनों में तैयार होती है। इसके लिए कंपोस्ट खाद का प्रयोग किया जाता है। बोरियों की थैली में कंपोस्ट खाद भरकर इसमें मशरूम तैयार किया जाता है। एक महीने में यह तैयार हो जाती है और फिर इसे निकालकर बिक्री के लिए पैकेजिंग की जाती है।

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