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    अब परती जमीन का सत्यापन कर सर्टिफिकेट अपलोड ना किया, तो नपेंगे सचिव

    प्रतापगढ़ में मनरेगा के तहत बंजर जमीन के समतलीकरण में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। अब सचिव को जमीन का सत्यापन कर प्रमाण पत्र वेबसाइट पर अपलोड करना होगा। ऐसा न करने पर कार्रवाई होगी। पहले एक ही जमीन को कई बार समतल बताकर भुगतान किया जाता था जिस पर अब रोक लगेगी। अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की गई है।

    By praveen yadav Edited By: Shivgovind Mishra Updated: Wed, 20 Aug 2025 09:12 PM (IST)
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    परती जमीन के समतलीकरण के नाम पर फर्जीवाड़ा करने पर होगी कार्रवाई। जागरण

    संवाद सूत्र, जागरण, प्रतापगढ़। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत परती जमीन के समतलीकरण के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वालों की अब खैर नहीं। इसे लिए पहले सचिव को जमीन का सत्यापन करके इसका प्रमाण पत्र तैयार करना होगा। इसके बाद उसे मनरेगा की वेबसाइट पर अपलोड करना होगा। इसके बाद ही जमीन का समतलीकरण करा सकेंगे। ऐसा न करने पर सचिव और प्रधानों के खिलाफ कठोर कदम उठाया जाएगा।

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    मनरेगा के तहत चकमार्ग, खेत सुधार, सीसी, खडंजा, नाला एवं नाली सहित अन्य तरह के विकास कार्य कराए जाते हैं। मनरेगा में होने वाले फर्जीवाड़े पर रोक लगाने को अधिकारी सख्त कदम उठा रहे हैं। अब तो ब्लाकों के बीडीओ से लेकर रोजगार सेवक तक कार्यस्थल पर जाकर मनरेगा मजदूरों की फोटो साइट पर अपलोड कर रहे हैं। हालांकि इससे काफी पारदर्शिता भी आई है।

    प्रशासन ने लिया था संज्ञान

    सदर के नौबस्ता, गौरा के नारायणपुर कला समेत दर्जन भर गांवों में एक ही मजदूरों की दो जगहों पर फोटो अपलोड करने के मामले को शासन ने संज्ञान ले लिया है। इस मामले में जांच शुरू हो गई है। वहीं, मनरेगा में होने वाली गड़बड़ी पर शत-प्रतिशत रोकथाम लगाने की कवायद चल रही है।

    इसी कड़ी में अब गांव की परती जमीन का समतलीकरण करने के पहले संबंधित ग्राम विकास अधिकारी या फिर ग्राम पंचायत अधिकारी को मौके पर जाकर जमीन का सत्यापन करना होगा। सचिव यह देखेंगे कि वास्तव में जमीन पर कई सालों से फसल की बोआई नहीं की गई। ऐसी दशा में सचिव इसका प्रमाण पत्र तैयार करेंगे। इसके बाद उसे मनरेगा वेबसाइट पर अपलोड करेंगे। इसके बाद ही जमीन का समतलीकरण करा सकेंगे। ऐसा न करने पर वह फर्जीवाड़ा के दायरे में आएगा।

    जमीन के समतलीकरण के नाम पर होता था खेल

    गांवों में जमीन के समतलीकरण के नाम पर पहले खूब खेल होता था। एक ही जमीन को कई बार समतलीकरण के नाम पर हजारों रुपये का भुगतान किया गया था। इसी मामले में दो साल पहले शासन की टीम कालाकांकर, बिहार और आसपुर देवसरा ब्लाक के गांवों में जांच करने आई थी। नई व्यवस्था से मनमानी रुकेगी। मनरेगा में पारदर्शिता भी आएगी।

    इस संबंध में सभी बीडीओ और कार्यक्रम अधिकारी (मनरेगा) को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों की भी जवाबदेही तय की गई है। -केएन पांडेय, जिला विकास अधिकारी/प्रभारी डीसी मनरेगा