Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    UP: कुंडा में सीओ जिया-उल-हक हत्याकांड से हिल गई थी अखिलेश सरकार, राजा भैया को देना पड़ा था इस्तीफा

    प्रतापगढ़ में सीओ जिया-उल-हक की हत्या ने राजनीतिक और प्रशासनिक भूचाल ला दिया था। इस मामले में 10 आरोपियों को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने दोषी करार दिया है। घटना में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को भी आरोपी बनाया गया था लेकिन बाद में उन्हें क्लीन चिट मिल गई थी। घटना को 11 साल से अधिक हो गए हैं लेकिन लोगों के जेहन में इसकी छाप बरकरार है।

    By rajan shukla Edited By: Shivam Yadav Updated: Sat, 05 Oct 2024 05:55 AM (IST)
    Hero Image
    मामले में पुलिस के बाद सीबीआई ने कई बार जांच की।

    जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़। भीड़ में घिरे सीओ कुंडा जिया-उल-हक की बेरहमी से की गई हत्या से यूपी में राजनीतिक व प्रशासनिक भूचाल आ गया था। तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ऐसी घिरी कि आरोपों के चलते उस वक्त कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शुक्रवार को जब इस बहुचर्चित प्रकरण में 10 आरोपियों को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने दोषी करार दिया तो एक बार फिर घटना चर्चा में आ गई। लोग अधिक-से-अधिक जानने के लिए टीवी व इंटरनेट मीडिया पर नजरें गड़ा दीं।

    लाठी-डंडे से पीटने के बाद गोलियां भी मारीं थीं

    इस घटना को हुए 11 साल से अधिक हो रहे हैं, पर लोगों को सब कुछ याद है। वह तारीख थी दो मार्च 2013 की। कुंडा सर्किल के बलीपुर गांव के प्रधान रहे नन्हें यादव को गांव की कुछ दुकानों के स्वामित्व के विवाद में गोली मार दी गई। उनका शव गांव लाए जाने पर आक्रोशित परिजन आपे से बाहर हो गए थे। 

    हत्या का शक कामता पटेल पर होने से उसके घर पर धावा बोला जा रहा था। आगजनी हो रही थी। भारी बवाल की सूचना पर मौके पर सीओ जिया-उल-हक सादे कपड़े में ही हमराही लेकर पहुंच गए थे। 

    हथिगवा, कुंडा समेत आसपास के थानों की पुलिस को वह बलीपुर आने का निर्देश फाेन पर देते हुए बलीपुर पहुंचे। उस वक्त रात के करीब साढ़े नौ बजने वाले थे। इसी बीच नन्हें के भाई सुरेश यादव को भी गोली लग गई। 

    इस पर गुस्से में बौखलाई भीड़ में सीओ को घेरकर लाठी-डंडे से पीटने के बाद गोलियां भी मारीं, मौके पर ही उनकी मौत हो गई थी। वह नूनखार जुआफर जनपद देवरिया के रहने वाले थे और घटना के साल भर पहले ही कुंडा के सीओ बने थे। उन पर हमला होते देख साथी पुलिस कर्मी जान बचाकर खेतों की ओर भाग गए थे।

    गांव आए थे मुख्यमंत्री और आजम

    संवाद सूत्र, कुंडा। इस बड़ी घटना पर कुंडा छावनी बन गया था। महीनों पुलिस ने बलीपुर में डेरा डाल रखा था। लोगों के आक्रोश को देखते हुए सीएम अखिलेश यादव, तत्कालीन मंत्री आजम खान के साथ बलीपुर पहुंचे थे। 

    सीओ की पत्नी परवीन आजाद ने अपने पति की हत्या में अन्य के साथ रघुराज प्रताप सिंह को साजिश का आरोपी बनाते हुए उस वक्त उनके करीबी रहे गुलशन यादव समेत अन्य को नामजद किया था। इसमें पुलिस के बाद सीबीआई ने कई बार जांच की। 

    एक बार जब सीबीआई ने रघुराज को क्लीन चिट दी तो परवीन ने उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इस पर फिर से राजा भैया की भूमिका की जांच सीबीआई करने के लिए आई थी। 

    शुक्रवार को जो लोग दोषी ठहराए गए, उनमें मृतक प्रधान नन्हें लाल यादव के दो भाई भाई फूलचंद यादव, पवन यादव के साथ गांव व पड़ोस के मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटेलाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल हैं। 

    इनको हत्या में दोषी ठहराने की जानकारी होने पर बलीपुर में आरोपियों में खलबली मच गई। आरोपियों को पहले जेल भेजा गया था, इनमें से ज्यादातर अब जेल के बाहर हैं। इसमें खास बात यह भी थी कि इस मामले में बेकसूर पाए जाने पर रघुराज प्रताप सिंह को फिर से मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया था।

    यह भी पढ़ें: अमेठी हत्याकांड: साए की तरह मंडराता था… पूनम के प्यार में पागल हो चुका चंदन वर्मा, यही थी रायबरेली छोड़ने की वजह