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    चुनरी नारियल फूल माला से सजे बाजार

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 17 Oct 2020 01:09 AM (IST)

    नवरात्र शनिवार से शुरू हो रहा है। शहर में चुनरी नारियल माला फूल से बाजार सज गए हैं। इसे लेकर बाजारों में काफी दिनों बाद चहल-पहल लौट आई है। कोरोना संक्रमण से बचाव करते हुए लोग खरीदारी में जुटे हैं। कोरोना के चलते इस बार व्यवसाय चौपट नजर आ रहा है।

    चुनरी नारियल फूल माला से सजे बाजार

    संवाद सूत्र, प्रतापगढ़ : नवरात्र शनिवार से शुरू हो रहा है। शहर में चुनरी, नारियल, माला फूल से बाजार सज गए हैं। इसे लेकर बाजारों में काफी दिनों बाद चहल-पहल लौट आई है। कोरोना संक्रमण से बचाव करते हुए लोग खरीदारी में जुटे हैं। कोरोना के चलते इस बार व्यवसाय चौपट नजर आ रहा है।

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    नगर क्षेत्र के चौक, बाबागंज, पंजाबी मार्केट, आंबेडकर चौराहा, श्रीराम तिराहा, सदर मोड़, चिलबिला जैसे प्रमुख बाजार की रौनक नवरात्र आते ही बढ़ गई है। दुकानों में इस बार दुर्गा की सुंदर-सुंदर मूर्तियां आ गई हैं। मूर्तियों का व्यवसाय करने वाले दुकानदारों में खुशी है। लोग मूर्तियां खरीद रहे हैं। परंपरागत ढंग से इस बार भी चुनार, वाराणसी, राजस्थान से कई वेरायटी की मूर्तियां मंगाई गई हैं। वहीं कोरोना के चलते व्यापारियों ने नई सामग्री मंगाने का रिस्क इस बार नहीं लिया है। पिछले साल के माल को निकाला गया है। चुनरी विक्रेता बताते हैं कि हर बार की तरह से इस बार भी कानपुर, वाराणसी व प्रयागराज से चुनरियां मंगाई गई हैं। इनकी कीमत 10 रुपये से लेकर 100 रुपये तक है। पिछले साल भी यही दाम था। आंध्रप्रदेश से नारियल मंगाए गए हैं, इनका दाम 20 रुपये है। बाजार में मिट्टी के रंगीन कलश देखते बन रहे हैं। उस पर लगी चुनरी शोभायमान है। सुलतानपुर जिले से मंगाए गए सुंदर कलश को दुकानदार साइज के हिसाब से 40, 50 व 100 रुपये तक बेच ले रहे हैं। इसकी खरीदारी अधिक हो रही है। ब्रांडेड कंपनियों की हवन सामग्री की नए पैके में लोगों के आकर्षण का केंद्र है। 20 रुपये से लेकर 100 रुपये तक की दर से बिक्री हो रही है। इसमें जौ, चावल, काला तिल, इंद्र जौ, कमल गट्टा, देवदार लकड़ी, कपूर सहित अन्य सामग्री शामिल की गई है। वहीं एक किलो का पैकेट 100 रुपये मिल रहा है। इसी तरह 15 रुपये में 100 ग्राम, 25 रुपये में 250 ग्राम हवन सामग्री मिल रही है।

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    40 से चार हजार की मूर्तियां

    बाजार में इस बार बार काफी महंगी मूर्तियां मंगाई गई हैं। कोरोना के चलते दुर्गा पंडाल नहीं लगे हैं। ऐसे में बाजारों में दुर्गा, गणेश, लक्ष्मी व हनुमान की मूर्तियां 40 रुपये से लेकर चार हजार तक की हैं। खासकर 100 रुपये के भीतर की मूर्तियों की अधिक खरीदारी हुई।

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    नवरात्र आते ही बढ़ गए फलों के दाम

    दो दिन पहले की अपेक्षा शुक्रवार को फल के दाम में अंतर दिखा। एक ओर जहां दो दिन पहले सेब 60 रुपये किलो था, वहीं अब 80 रुपये किलो के हिसाब से बिक रहा है। इसी तरह केला 40 से 50 रुपये, पपीता 30 से 50 रुपये, अनार 80 से 100 रुपये, मुसम्मी 40 से 60 रुपये, कीवी 29 से 39 रुपये पीस है। नवरात्र को लेकर फल विक्रेता भी मनमाने दाम पर फल बेच रहे हैं।

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    व्रत में खाएं सेंधा नमक की नमकीन

    नवरात्र में अधिकांश लोग व्रत रहते हैं। ऐसे में उनके लिए इस बार खासकर सेंधा नमक की नमकीन बनाई जा रही है। देशी घी में इसे बनाया जा रहा है। बाजार में इसकी कीमत 800 रुपये किलो है। इसी तरह काजू घेवर, सिघाड़ा व आलू सेंधा नमक भी मिठाई की दुकान पर मिलेगा। मिठाई कारोबारी विष्णु खंडेलवाल बताते हैं कि इस बार नवरात्र में व्रत वालों के लिए खासकर सेंधा नमक की नमकीन, सिघाड़ा की मिठाई व काजू घेवर की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा छेना पाइस, मिल्क बादाम, काजू बर्फी, कलाकंद व मिल्क केक भी व्रत में खा सकेंगे। कारीगर इसे तैयार कर रहे हैं।

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    मायूस हैं फूल कारोबारी

    कोरोना का असर व्यापार पर भी पड़ा है। नवरात्र में जहां खरीदारी को लेकर मारामारी मची रहती है, वहीं पिछले साल की अपेक्षा इस बार ग्राहक कम निकल रहे हैं। खासकर फूल कारोबारी अधिक संकट में हैं। गेंदा के फूल की माला 30 से 35 रुपये में बेची जा रही है। इसी तरह गुलाब की माला 30 से 200 रुपये तक है। इस बार फूल की दुकान पर ग्राहक कम दिख रहे हैं। जो आ भी रहे हैं, वह सस्ती दाम वाली माला लेकर अपना काम चला रहे हैं। फूल विक्रेता राम किशुन बताते हैं कि केवल गेंदा व गुलाब ही वाराणसी व प्रयागराज से आ पाया है। इसी से काम चलाया जा रहा है। अधिक महंगी माला ग्राहक नहीं खरीद रहे हैं, ऐसे में अन्य किस्म के फूलों को नहीं मंगाया जा रहा है।

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    कोरोना की वजह से ग्राहक कम निकल रहे हैं। इस बार व्यापार पूरी तरह से चौपट हो गया है। पुराने सामानों की बिक्री की जा रही है। कुछ नया इस बार नहीं मंगाया गया है।

    -अविनाश कुमार, किराना व्यापारी

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    पिछले साल नवरात्र में अच्छा व्यवसाय हुआ था। उसकी तुलना में इस बार काफी अंतर है। कोरोना की वजह से काफी दिक्कत हो रही है। हम लोग भी उतना ही आइटम बनवा रहे हैं, जितना खप जाए।

    -रवि खंडेलवाल, मिठाई कारोबारी

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    कोरोना ने तो पूरी कमर ही तोड़ दी। इस बार तो दिहाड़ी ही निकलना मुश्किल हो गया है। ग्राहक भी कम आ रहे हैं। पहले जहां एक दिन में तीन से चार हजार की बिक्री होती थी, वहीं अब हजार रुपये कमाना मुश्किल हो गया है।

    -मदन लाल, फल कारोबारी

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