CBSE ने कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए कौशल शिक्षा की अनिवार्य, अब बच्चे सीखेंगे मशीन लर्निंग और सेवा कार्य जैसी गतिविधियां
सीबीएसई ने कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों के लिए कौशल शिक्षा अनिवार्य कर दी है। इसके तहत, छात्रों को मशीन लर्निंग और सेवा कार्य जैसी गतिविधियां सिखाई जाएं ...और पढ़ें

सीबीएसई ने कक्षा छह से आठ तक के बच्चों के लिए कौशल शिक्षा की अनिवार्य
संवाद सूत्र, जागरण, प्रतापगढ़। नई शिक्षा नीति के तहत सीबीएसई में कक्षा छह से आठ तक के छात्रों के लिए कौशल शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है। अब स्कूली शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों और परीक्षाओं तक सीमित नहीं रहेगी। बच्चे पौधों की देखभाल, मशीन लर्निंग और सेवा कार्य जैसी वास्तविक जीवन की गतिविधियों को भी सीखेंगे।
जिले में सीबीएसई बोर्ड के 43 विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों की संख्या करीब 15,000 है। इसका उद्देश्य ''करके सीखने'' को बढ़ावा देना है, न कि केवल ''पढ़कर याद करना''। सभी संबद्ध स्कूलों को कौशल-आधारित शिक्षा को एक मुख्य विषय के रूप में लागू करने का निर्देश दिया गया है।
कौशल को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जाएगा। जीवित प्राणियों, मशीनों और सेवाओं से संबंधित कार्य। नए ढांचे के अनुसार, छात्रों को तीन प्रकार के कौशल कार्यों में लगाया जाएगा, जिसमें मानव सेवाएं जैसे सामाजिक सहयोग और सेवा से जुड़े कार्य शामिल हैं।
हर साल तीन प्रोजेक्ट, कुल 270 घंटे का प्रैक्टिकल काम का टारगेट रखा गया है। छात्र छठवीं से आठवीं कक्षा तक, तीन साल में कुल नौ प्रोजेक्ट पूरे करेंगे। हर साल, बच्चे तीन प्रोजेक्ट में लगभग 90 घंटे बिताएंगे, जिससे कुल 270 घंटे का प्रैक्टिकल काम होगा। इसका उद्देश्य यह नहीं है कि उन्होंने क्या सीखा, बल्कि यह भी कि उन्होंने क्या किया और कैसे सीखा।
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स्कूल के रूटीन और टाइम टेबल में बदलाव
सीबीएसई के स्कूलों को अपने टाइमटेबल में बड़े बदलाव करने होंगे। हर साल, 110 घंटे (लगभग 160 पीरियड) केवल कौशल शिक्षा के लिए निर्धारित होंगे। हर हफ्ते लगातार दो पीरियड इस विषय के लिए होंगे। स्कूल स्थानीय जरूरतों और संसाधनों के आधार पर किताब में दिए गए छह प्रोजेक्ट में से तीन प्रोजेक्ट चुन सकेंगे।
सालाना कौशल मेला
हर शैक्षणिक वर्ष के अंत में स्कूलों में एक ''कौशल मेला'' आयोजित किया जाएगा, जहां छात्र अपने प्रोजेक्ट, मॉडल और अनुभव प्रदर्शित करेंगे। इससे माता-पिता को यह समझने में मदद मिलेगी कि बच्चे पाठ्यपुस्तकों के अलावा क्या सीख रहे हैं।
कौशल शिक्षा के लिए मूल्यांकन प्रक्रिया भी बदलेगी। 10 प्रतिशत अंक लिखित परीक्षा के लिए, 30 प्रतिशत मौखिक परीक्षा के लिए, 30 प्रतिशत गतिविधि पुस्तक के लिए 10 प्रतिशत पोर्टफोलियो के लिए और 20 प्रतिशत शिक्षक मूल्यांकन के लिए दिए जाएंगे।

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